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अध्याय बारह

आप उन समस्याओं को पार कर सकते हैं जो एक परिवार को हानि पहुँचाती हैं

आप उन समस्याओं को पार कर सकते हैं जो एक परिवार को हानि पहुँचाती हैं

१. कुछ परिवारों में कौन-सी छिपी हुई समस्याएँ होती हैं?

पुरानी कार को अभी-अभी धोकर पॉलिश किया गया है। पास से गुज़रने वालों को वह चमचमाती हुई, एकदम नयी-सी दिखती है। लेकिन सतह के नीचे, क्षयकारी ज़ंग गाड़ी के ढाँचे को खाए जा रहा है। कुछ परिवारों के साथ भी ऐसा ही है। हालाँकि बाहर से सब कुछ ठीक दिखता है, मुस्कराते चेहरे भय और पीड़ा को छिपा लेते हैं। बंद दरवाज़े के पीछे क्षयकारी तत्व परिवार की शान्ति को खाए जा रहे हैं। मद्यव्यसनता और हिंसा ऐसी दो समस्याएँ हैं जिनका यह प्रभाव हो सकता है।

मद्यव्यसनता के कारण हुई हानि

२. (क) शराब के प्रयोग के बारे में बाइबल का दृष्टिकोण क्या है? (ख) मद्यव्यसनता क्या है?

बाइबल शराब के संतुलित प्रयोग की निन्दा नहीं करती, परन्तु वह पियक्कड़पन की निन्दा अवश्‍य करती है। (नीतिवचन २३:२०, २१; १ कुरिन्थियों ६:९, १०; १ तीमुथियुस ५:२३; तीतुस २:२, ३) लेकिन, मद्यव्यसनता पियक्कड़पन से अधिक है; यह शराब पीने की पुरानी लत और उसे पीने के कारण नियंत्रण खो बैठना है। मद्यव्यसनी वयस्क हो सकते हैं। दुःख की बात है कि वे युवा भी हो सकते हैं।

३, ४. मद्यव्यसनी के विवाह-साथी पर और बच्चों पर मद्यव्यसनता के प्रभावों का वर्णन कीजिए।

बाइबल ने बहुत पहले बताया कि शराब का दुरुपयोग परिवार की शान्ति भंग कर सकता है। (व्यवस्थाविवरण २१:१८-२१) मद्यव्यसनता के क्षयकारी प्रभाव समस्त परिवार पर पड़ते हैं। हो सकता है कि विवाह-साथी मद्यव्यसनी का पीना रोकने या उसके तरंगी बर्ताव से निपटने का प्रयास करने में डूब जाए। * वह दारू को ग़ायब करने, फेंकने, उसके पैसे छिपाने, और परिवार के प्रति, जीवन के प्रति, यहाँ तक कि परमेश्‍वर के प्रति उसके प्रेम को छूने की कोशिश करती है—लेकिन मद्यव्यसनी फिर भी पीता है। जब उसके पीने को नियंत्रित करने के पत्नी के प्रयास बार-बार निष्फल होते हैं, तो वह निराश और अयोग्य महसूस करती है। वह शायद भय, क्रोध, दोष, घबराहट, चिन्ता, और आत्म-सम्मान की कमी से पीड़ित हो जाए।

बच्चे जनक की मद्यव्यसनता के प्रभावों से नहीं बचते। कुछ पर शारीरिक रूप से प्रहार किया जाता है। दूसरों को लैंगिक रूप से उत्पीड़ित किया जाता है। वे जनक की मद्यव्यसनता के लिए स्वयं को भी दोषी मान सकते हैं। मद्यव्यसनी के असंगत बर्ताव के कारण प्रायः दूसरों पर भरोसा करने की उनकी क्षमता चूर हो जाती है। क्योंकि वे घर में हो रही बातों के बारे में आराम से बात नहीं कर सकते, बच्चे शायद अपनी भावनाओं को दबाना सीख लें, जिसके अकसर हानिकर शारीरिक परिणाम होते हैं। (नीतिवचन १७:२२) ऐसे बच्चे आत्म-विश्‍वास या आत्म-सम्मान की इस कमी को वयस्कता तक रख सकते हैं।

परिवार क्या कर सकता है?

५. मद्यव्यसनता को कैसे संभाला जा सकता है, और यह कठिन क्यों है?

हालाँकि अनेक विशेषज्ञ कहते हैं कि मद्यव्यसनता का कोई इलाज नहीं, अधिकतर इस पर सहमत हैं कि पूर्ण मद्यत्याग के कार्यक्रम से कुछ हद तक ठीक होना संभव है। (मत्ती ५:२९ से तुलना कीजिए।) लेकिन, मदद स्वीकार करने के लिए एक मद्यव्यसनी को मनाना बहुत मुश्‍किल है, चूँकि सामान्यतः वह इस बात से इनकार कर देता है कि उसे कोई समस्या है। फिर भी, जब परिवार के सदस्य मद्यव्यसनता के कारण उन पर पड़े प्रभाव से निपटने के लिए क़दम उठाते हैं, तब मद्यव्यसनी को शायद यह एहसास होने लगे कि उसे समस्या है। एक चिकित्सक ने, जिसे मद्यव्यसनियों और उनके परिवारों की मदद करने का अनुभव है, कहा: “मेरे विचार से सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि परिवार अपने भरसक सबसे हितकर रीति से अपना जीवन चलाता रहे। मद्यव्यसनी के सामने यह बात अधिकाधिक स्पष्ट होती जाती है कि उसके और बाक़ी के परिवार के बीच कितनी बड़ी विषमता है।”

६. ऐसे परिवारों के लिए जिनमें एक मद्यव्यसनी सदस्य है, सलाह का सर्वोत्तम स्रोत क्या है?

यदि आपके परिवार में एक मद्यव्यसनी है, तो बाइबल की उत्प्रेरित सलाह यथासंभव हितकर रीति से जीने में आपकी मदद कर सकती है। (यशायाह ४८:१७; २ तीमुथियुस ३:१६, १७) कुछ सिद्धान्तों पर विचार कीजिए जिन्होंने मद्यव्यसनता से सफलतापूर्वक निपटने में परिवारों की मदद की है।

७. यदि परिवार का एक सदस्य मद्यव्यसनी है, तो कौन ज़िम्मेदार है?

सारा दोष लेना बंद कर दीजिए। बाइबल कहती है: “हर एक व्यक्‍ति अपना ही बोझ उठाएगा,” और “हम में से हर एक परमेश्‍वर को अपना अपना लेखा देगा।” (गलतियों ६:५; रोमियों १४:१२) मद्यव्यसनी शायद यह जताने की कोशिश करे कि परिवार के सदस्य ज़िम्मेदार हैं। उदाहरण के लिए, वह शायद कहे: “यदि तुम मेरे साथ बेहतर व्यवहार करते, तो मैं नहीं पीता।” यदि दूसरे दिखाते हैं कि वे उससे सहमत हैं, तो वे उसको और पीने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। लेकिन यदि हम परिस्थितियों या दूसरे लोगों द्वारा पीड़ित हैं, तो भी हम सभी—मद्यव्यसनी भी—जो हम करते हैं उसके लिए ज़िम्मेदार हैं।—फिलिप्पियों २:१२ से तुलना कीजिए।

८. कौन-से कुछ तरीक़ों से मद्यव्यसनी को उसकी समस्या के परिणामों का सामना करने के लिए मदद दी जा सकती है?

ऐसा मत महसूस कीजिए कि आपको हमेशा मद्यव्यसनी को उसके पीने के परिणामों से बचाना है। एक क्रोधित व्यक्‍ति के बारे में एक बाइबल नीतिवचन मद्यव्यसनी पर भी उतना ही लागू हो सकता है: “यदि तू उसे बचाए, तो बारम्बार बचाना पड़ेगा।” (नीतिवचन १९:१९) मद्यव्यसनी को अपने पीने के परिणाम भुगतने दीजिए। पीने के बाद जो गंदगी उसने फैलायी है उसे ख़ुद साफ़ करने दीजिए या अगली सुबह अपने मालिक को ख़ुद फ़ोन करने दीजिए।

९, १०. मद्यव्यसनियों के परिवारों को क्यों मदद स्वीकार करनी चाहिए, और उन्हें ख़ासकर किसकी मदद माँगनी चाहिए?

दूसरों से मदद स्वीकार कीजिए। नीतिवचन १७:१७ कहता है: “[“सच्चा,” NW] मित्र सब समयों में प्रेम रखता है, और विपत्ति के दिन भाई बन जाता है।” जब आपके परिवार में एक मद्यव्यसनी है, तो विपत्ति है। आपको मदद की ज़रूरत है। सहारे के लिए ‘सच्चे मित्रों’ पर भरोसा रखने से मत झिझकिए। (नीतिवचन १८:२४) उनके साथ बात करने से जो समस्या को समझते हैं या जिन्होंने मिलती-जुलती स्थिति का सामना किया है, आपको इस बारे में व्यावहारिक सुझाव मिल सकते हैं कि क्या करें और क्या न करें। लेकिन संतुलित रहिए। उनके साथ बात कीजिए जिन पर आप भरोसा रखते हैं, जो आपका “भेद” छिपा रखेंगे।—नीतिवचन ११:१३.

१० मसीही प्राचीनों पर भरोसा करना सीखिए। मसीही कलीसिया में प्राचीन मदद का एक बड़ा स्रोत हो सकते हैं। ये प्रौढ़ पुरुष परमेश्‍वर के वचन में शिक्षित और उसके सिद्धान्तों के अनुप्रयोग में अनुभवी हैं। वे “मानो आंधी से छिपने का स्थान, और बौछार से आड़ . . . या निर्जल देश में जल के झरने, व तप्त भूमि में बड़ी चट्टान की छाया” साबित हो सकते हैं। (यशायाह ३२:२) मसीही प्राचीन न सिर्फ़ सामूहिक रूप से कलीसिया को हानिकर प्रभावों से बचाते हैं बल्कि वे उन व्यक्‍तियों को भी सांत्वना और विश्राम देते, और उनमें व्यक्‍तिगत रुचि लेते हैं जिनको समस्याएँ हैं। उनकी मदद का पूरा लाभ उठाइए।

११, १२. मद्यव्यसनियों के परिवारों के लिए सबसे बड़ी मदद कौन प्रदान करता है, और वह सहारा कैसे दिया जाता है?

११ सबसे बढ़कर, यहोवा से शक्‍ति प्राप्त कीजिए। बाइबल हमें स्नेहपूर्ण आश्‍वासन देती है: “यहोवा टूटे मनवालों के समीप रहता है, और पिसे हुओं का उद्धार करता है।” (भजन ३४:१८) परिवार में एक मद्यव्यसनी सदस्य के साथ रहने के दबाव के कारण यदि आपका मन टूट गया है या आप पिसा हुआ महसूस करते हैं, तो जान लीजिए कि ‘यहोवा समीप है।’ वह समझता है कि आपकी पारिवारिक स्थिति कितनी कठिन है।—१ पतरस ५:६, ७.

१२ यहोवा अपने वचन में जो कहता है उस पर विश्‍वास करना आपको चिन्ता से निपटने में मदद दे सकता है। (भजन १३०:३, ४; मत्ती ६:२५-३४; १ यूहन्‍ना ३:१९, २०) परमेश्‍वर के वचन का अध्ययन करना और उसके सिद्धान्तों के अनुरूप जीना आपको परमेश्‍वर की पवित्र आत्मा की मदद प्राप्त करने में समर्थ करता है, जो आपको एक-एक दिन करके स्थिति से निपटने के लिए “असीम सामर्थ” दे सकती है।—२ कुरिन्थियों ४:७. *

१३. दूसरी समस्या कौन-सी है जो अनेक परिवारों को हानि पहुँचाती है?

१३ शराब का दुष्प्रयोग एक और समस्या की ओर ले जा सकता है जो अनेक परिवारों को हानि पहुँचाती है—घरेलू हिंसा।

घरेलू हिंसा के कारण हुई हानि

१४. घरेलू हिंसा कब शुरू हुई, और आज स्थिति क्या है?

१४ मानव इतिहास की पहली हिंसक क्रिया कैन और हाबिल, दो भाइयों से सम्बन्धित घरेलू हिंसा की घटना थी। (उत्पत्ति ४:८) तभी से मानवजाति हर प्रकार की घरेलू हिंसा से ग्रस्त रही है। ऐसे पति हैं जो पत्नियों को मारते-कूटते हैं, पत्नियाँ हैं जो पतियों पर हमला करती हैं, माता-पिता हैं जो क्रूरता से अपने छोटे बच्चों की पिटाई करते हैं, और सयाने बच्चे हैं जो अपने वृद्ध माता-पिताओं के साथ दुर्व्यवहार करते हैं।

१५. घरेलू हिंसा के कारण परिवार के सदस्य भावात्मक रूप से कैसे प्रभावित होते हैं?

१५ घरेलू हिंसा के कारण हुई हानि शारीरिक चोटों से कहीं अधिक होती है। एक मरी-कुटी पत्नी ने कहा: “आपको काफ़ी दोष-भावना और लज्जा सहनी पड़ती है। ज़्यादातर सुबह, आप बस बिस्तर में पड़ी रहना चाहती हैं, और सोचती हैं कि काश वह बस एक बुरा सपना होता।” जब वे बच्चे बड़े होते और अपना घर बसाते हैं जो घरेलू हिंसा देखते या अनुभव करते हैं, तब वे ख़ुद भी शायद हिंसक बनें।

१६, १७. भावात्मक दुर्व्यवहार क्या है, और इसके कारण परिवार के सदस्य कैसे प्रभावित होते हैं?

१६ घरेलू हिंसा शारीरिक दुर्व्यवहार तक सीमित नहीं होती है। अकसर प्रहार मौखिक होता है। नीतिवचन १२:१८ कहता है: “ऐसे लोग हैं जिनका बिना सोच-विचार का बोलना तलवार की नाईं चुभता है।” घरेलू हिंसा में जो बातें ‘चुभती’ हैं उनमें गाली देना और चिल्लाना, साथ ही हमेशा आलोचना करना, अपमान करना, और शारीरिक हिंसा की धमकियाँ देना सम्मिलित है। भावात्मक हिंसा के घाव अदृश्‍य होते हैं और अकसर उन पर दूसरों का ध्यान नहीं जाता।

१७ एक बच्चे की भावात्मक मार-कूट—बच्चे की योग्यताओं, अक़्ल, या एक व्यक्‍ति के रूप में उसके मूल्य की निरन्तर आलोचना करना और नीचा दिखाना—ख़ासकर दुःख की बात है। ऐसा मौखिक दुर्व्यवहार बच्चे के आत्म-विश्‍वास को नष्ट कर सकता है। यह सच है कि सभी बच्चों को अनुशासन की ज़रूरत होती है। लेकिन बाइबल पिताओं को निर्देश देती है: “अपने बालकों को तंग न करो, न हो कि उन का साहस टूट जाए।”—कुलुस्सियों ३:२१.

घरेलू हिंसा से कैसे दूर रहें

जो मसीही साथी एक दूसरे को प्रेम करते और आदर देते हैं वे समस्याओं को सुलझाने के लिए तुरन्त कार्य करेंगे

१८. घरेलू हिंसा कहाँ शुरू होती है, और बाइबल के अनुसार इसे रोकने का क्या तरीक़ा है?

१८ घरेलू हिंसा हृदय और मन में शुरू होती है; पहले जैसा हम सोचते हैं फिर वैसा हम व्यवहार करते हैं। (याकूब १:१४, १५) हिंसा रोकने के लिए, दुर्व्यवहार करनेवाले को अपने सोचने का ढंग बदलने की ज़रूरत है। (रोमियों १२:२) क्या यह संभव है? जी हाँ। परमेश्‍वर के वचन में लोगों को बदलने की शक्‍ति है। यह ‘मज़बूती से जमे हुए’ विनाशक विचारों को भी जड़ से उखाड़ सकता है। (२ कुरिन्थियों १०:४, NW; इब्रानियों ४:१२) बाइबल का यथार्थ ज्ञान लोगों में इतना बड़ा परिवर्तन लाने में मदद कर सकता है कि कहा गया है कि वे नया मनुष्यत्व धारण करते हैं।—इफिसियों ४:२२-२४; कुलुस्सियों ३:८-१०.

१९. एक मसीही को विवाह-साथी को किस दृष्टि से देखना और उसके साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए?

१९ विवाह-साथी के प्रति दृष्टिकोण। परमेश्‍वर का वचन कहता है: “पति अपनी अपनी पत्नी से अपनी देह के समान प्रेम रखे, जो अपनी पत्नी से प्रेम रखता है, वह अपने आप से प्रेम रखता है।” (इफिसियों ५:२८) बाइबल यह भी कहती है कि पति को अपनी पत्नी को “निर्बल पात्र जानकर उसका आदर” करना चाहिए। (१ पतरस ३:७) पत्नियों को प्रबोधन दिया गया है कि “अपने पतियों . . . से प्रीति रखें” और उनका “गहरा आदर” करें। (तीतुस २:४; इफिसियों ५:३३, NW) निश्‍चित ही, परमेश्‍वर का भय माननेवाला कोई पति सच्चाई से यह नहीं कह सकता कि वह वास्तव में अपनी पत्नी का आदर करता है यदि वह शारीरिक या मौखिक रूप से उस पर प्रहार करता है। और कोई पत्नी जो अपने पति पर चिल्लाती है, उसे ताने मारकर बुलाती है, या हमेशा उसे डाँटती है यह नहीं कह सकती कि वह सचमुच उसको प्रेम करती और आदर देती है।

२०. अपने बच्चों के लिए माता-पिता किसके सामने उत्तरदायी हैं, और माता-पिताओं को अपने बच्चों से अत्यधिक अपेक्षाएँ क्यों नहीं करनी चाहिए?

२० बच्चों के प्रति उचित दृष्टिकोण। बच्चे अपने माता-पिता के प्रेम और ध्यान के योग्य हैं, जी हाँ, उन्हें इसकी ज़रूरत है। परमेश्‍वर का वचन बच्चों को “यहोवा के दिए हुए मीरास” और “प्रतिफल” कहता है। (भजन १२७:३, NHT फुटनोट) उस मीरास की देखभाल करने के लिए माता-पिता यहोवा के सामने उत्तरदायी हैं। बाइबल ‘बालकों की बातों’ और लड़कपन की “मूढ़ता” के बारे में बोलती है। (१ कुरिन्थियों १३:११; नीतिवचन २२:१५) यदि माता-पिता अपने बच्चों में मूर्खता पाते हैं तो उन्हें चकित नहीं होना चाहिए। युवजन वयस्क नहीं हैं। माता-पिता को एक बच्चे की उम्र, पारिवारिक पृष्ठभूमि, और योग्यता के हिसाब से जितना उपयुक्‍त है उससे अधिक की माँग नहीं करनी चाहिए।—उत्पत्ति ३३:१२-१४ देखिए।

२१. वृद्ध माता-पिताओं के प्रति दृष्टिकोण का और उनके साथ व्यवहार का ईश्‍वरीय तरीक़ा क्या है?

२१ वृद्ध माता-पिताओं के प्रति दृष्टिकोण। लैव्यव्यवस्था १९:३२ कहता है: “पक्के बालवाले के साम्हने उठ खड़े होना, और बूढ़े का आदरमान करना।” इस प्रकार परमेश्‍वर की व्यवस्था ने वृद्धजनों के लिए आदर और उच्च सम्मान को बढ़ावा दिया। यह एक चुनौती हो सकती है जब एक वृद्ध जनक अत्यधिक माँग करता प्रतीत होता है या बीमार है और संभवतः जल्दी से हिलता-डुलता या सोचता नहीं। फिर भी, बच्चों को याद दिलाया गया है कि ‘अपने माता-पिता को उन का हक्क दें।’ (१ तीमुथियुस ५:४) इसका अर्थ होता उनके साथ गरिमा और आदर से व्यवहार करना, संभवतः आर्थिक रूप से भी उनका भरण-पोषण करना। शारीरिक या अन्य रीति से वृद्ध माता-पिताओं के साथ दुर्व्यवहार करना, जिस प्रकार बाइबल हमें व्यवहार करने को कहती है उसके बिलकुल विपरीत है।

२२. घरेलू हिंसा पर जीत पाने का एक मुख्य गुण क्या है, और इसे कैसे प्रयोग किया जा सकता है?

२२ आत्म-संयम विकसित कीजिए। नीतिवचन २९:११ कहता है: “मूर्ख अपने सारे मन की बात खोल देता है, परन्तु बुद्धिमान अपने मन को रोकता, और शान्त कर देता है।” आप अपना संयम कैसे रख सकते हैं? ग़ुबार को अन्दर ही अन्दर भरने देने के बजाय, जब समस्याएँ उठती हैं तो उन्हें सुलझाने के लिए जल्दी से क़दम उठाइए। (इफिसियों ४:२६, २७) यदि आपको लगता है कि आप अपना संयम खो रहे हैं तो वहाँ से चले जाइए। प्रार्थना कीजिए कि परमेश्‍वर की पवित्र आत्मा आप में आत्म-संयम उत्पन्‍न करे। (गलतियों ५:२२, २३) पैदल घूमने जाना या कोई शारीरिक व्यायाम करना आपे में रहने के लिए आपकी मदद कर सकता है। (नीतिवचन १७:१४, २७) “विलम्ब से क्रोध करनेवाला” बनने की कोशिश कीजिए।—नीतिवचन १४:२९.

अलग हो जाएँ या एकसाथ रहें?

२३. यदि मसीही कलीसिया का एक सदस्य बार-बार और बिना पछतावा किए हिंसक क्रोध में आ जाता है, जिसमें संभवतः अपने परिवार के साथ शारीरिक दुर्व्यवहार सम्मिलित हो, तो क्या हो सकता है?

२३ “बैर, झगड़ा, . . . क्रोध” की गिनती बाइबल उन कामों में करती है जिनकी परमेश्‍वर निन्दा करता है, और कहती है कि “ऐसे ऐसे काम करनेवाले परमेश्‍वर के राज्य के वारिस न होंगे।” (गलतियों ५:१९-२१) इसलिए, एक मसीही होने का दावा करनेवाला कोई व्यक्‍ति जो बार-बार और बिना पछतावा किए हिंसक क्रोध में आ जाता है, जिसमें संभवतः विवाह-साथी या बच्चों के साथ शारीरिक दुर्व्यवहार सम्मिलित हो, वह मसीही कलीसिया से बहिष्कृत किया जा सकता है। (२ यूहन्‍ना ९, १० से तुलना कीजिए।) इस रीति से कलीसिया को दुर्व्यवहारी व्यक्‍तियों से साफ़ रखा जाता है।—१ कुरिन्थियों ५:६, ७; गलतियों ५:९.

२४. (क) जिन विवाह-साथियों के साथ दुर्व्यवहार किया गया है वे क्या करने का चुनाव कर सकते हैं? (ख) चिन्तित मित्र और प्राचीन दुर्व्यवहार किए गए विवाह-साथी को कैसे सहारा दे सकते हैं, लेकिन उन्हें क्या नहीं करना चाहिए?

२४ उन मसीहियों के बारे में क्या जो अभी ऐसे दुर्व्यवहारी विवाह-साथी द्वारा मारे-कूटे जा रहे हैं जो कि बदलने का नाम नहीं लेता? कुछ लोगों ने एक-न-एक कारण से दुर्व्यवहारी विवाह-साथी के साथ रहने का चुनाव किया है। दूसरों ने छोड़ने का चुनाव किया है, उन्हें लगा कि उनका शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक स्वास्थ्य—संभवतः उनका जीवन भी—ख़तरे में है। इन परिस्थितियों में घरेलू हिंसा से पीड़ित व्यक्‍ति क्या करने का चुनाव करता है वह यहोवा के सामने एक व्यक्‍तिगत फ़ैसला है। (१ कुरिन्थियों ७:१०, ११) शुभ-चिंतक मित्र, सम्बन्धी, या मसीही प्राचीन शायद मदद और सलाह देना चाहें, लेकिन उन्हें पीड़ित व्यक्‍ति पर कोई ख़ास मार्ग लेने का दबाव नहीं डालना चाहिए। वह उसका अपना फ़ैसला है।—रोमियों १४:४; गलतियों ६:५.

हानिकारी समस्याओं का अन्त

२५. परिवार के लिए यहोवा का उद्देश्‍य क्या है?

२५ जब यहोवा विवाह में आदम और हव्वा को एकसाथ लाया, तब उसका उद्देश्‍य यह बिलकुल भी नहीं था कि परिवारों को मद्यव्यसनता या हिंसा जैसी हानिकारी समस्याओं का ज़ंग खा जाए। (इफिसियों ३:१४, १५) परिवार को वह स्थान होना था जहाँ प्रेम और शान्ति की बहुतायत होती और हर सदस्य की मानसिक, भावात्मक, और आध्यात्मिक ज़रूरतें पूरी की जातीं। लेकिन, पाप के आने से पारिवारिक जीवन जल्दी ही बिगड़ गया।—सभोपदेशक ८:९ से तुलना कीजिए।

२६. जो यहोवा की माँगों के सामंजस्य में जीने की कोशिश करते हैं उनका भविष्य कैसा होगा?

२६ ख़ुशी की बात है कि यहोवा ने परिवार के लिए अपना उद्देश्‍य त्यागा नहीं है। वह एक ऐसा शान्तिपूर्ण नया संसार लाने की प्रतिज्ञा करता है जिसमें लोग “निडर रहेंगे, और उनको कोई न डराएगा।” (यहेजकेल ३४:२८) उस समय, मद्यव्यसनता, घरेलू हिंसा, और अन्य सभी समस्याएँ जो आज परिवारों को हानि पहुँचाती हैं बीती बात होंगी। लोग मुस्कराएँगे, भय और पीड़ा छिपाने के लिए नहीं, बल्कि इसलिए कि वे “बड़ी शान्ति के कारण आनन्द” मना रहे हैं।—भजन ३७:११.

^ पैरा. 3 हालाँकि हमने एक पुरुष को मद्यव्यसनी मानकर उल्लेख किया है, यहाँ दिए गए सिद्धान्त तब भी उतने ही लागू होते हैं जब मद्यव्यसनी एक स्त्री है।

^ पैरा. 12 कुछ देशों में, ऐसे उपचार केंद्र, अस्पताल, और स्वास्थ्य-लाभ कार्यक्रम हैं जो विशेष रूप से मद्यव्यसनियों और उनके परिवारों को मदद देने के लिए हैं। ऐसी मदद लें या नहीं यह एक व्यक्‍तिगत फ़ैसला है। वॉच टावर सोसाइटी किसी ख़ास उपचार का समर्थन नहीं करती। लेकिन, ध्यान रखने की ज़रूरत है ताकि मदद लेते समय, व्यक्‍ति ऐसे कार्यों में न उलझ जाए जिनमें शास्त्रीय सिद्धान्तों का समझौता होता है।