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मकाउ

पूरी दुनिया में प्रचार और सिखाने का काम

एशिया और मध्य-पूर्वी देश

एशिया और मध्य-पूर्वी देश
  • देश 49

  • जनसंख्या 4,46,43,74,770

  • प्रचारक 7,28,989

  • बाइबल अध्ययन 7,71,272

एक को गवाही दी गयी, कई लोग सच्चाई में आए

फिलीपींस में जॉनाथन एक अस्पताल में डॉक्टर से मिलने का इंतज़ार कर रहा था। रिसेप्शन पर बैठी एक औरत, लाइला ने उसका सलीकेदार पहनावा देखकर पूछा कि क्या वह किसी बीमा कंपनी का एजेंट है। जॉनाथन ने बताया कि वह यहोवा का एक साक्षी है और वहाँ एक मरीज़ की मदद करने आया है जो साक्षी है। यह सुनकर लाइला को बहुत अच्छा लगा और उसने जॉनाथन को बताया कि उसका पिता नियमित तौर पर प्रहरीदुर्ग पढ़ता था और हाल ही में उसकी मौत हो गयी थी। जॉनाथन ने उसे यूहन्ना 5:28, 29 दिखाया और यह परचा दिया, हमारे प्यारे मरे हुओं के लिए क्या कोई आशा है?

फिलीपींस: जॉनाथन ने रिसेप्शन पर बैठी औरत को गवाही दी

इसके बाद जॉनाथन जब-जब अस्पताल जाता उसे कुछ और प्रकाशन देता था। साथ ही उसने एक बहन को उसके बारे में बताया। बहन ने लाइला के साथ बाइबल अध्ययन शुरू किया। जल्द ही लाइला का पति, उसकी बहन और माँ, जो उसके घर पर रहती थीं, सब उसके साथ मिलकर अध्ययन करने लगे।

लाइला की एक पड़ोसिन रोस उसके पास आयी और उसने पूछा कि उसके अपार्टमेंट में इतने सारे मेहमान क्यों आते हैं। लाइला ने उसे बताया कि वह यहोवा के साक्षियों से बाइबल सीख रही है। नतीजा, रोस भी बाइबल सीखने लगी। जब वह अपनी बहन अबीगैल से मिलने अपने प्रांत गयी तो उसने खुशी-खुशी उसे वे बातें बतायीं जो वह सीख रही थी। अबीगैल भी इस बारे में जानने के लिए उत्सुक हो गयी, इसलिए उसने भी बाइबल अध्ययन की गुज़ारिश की। रोस की माँ भी बाइबल सीखने लगी।

लाइला ने हाल ही में एक क्षेत्रीय अधिवेशन में बपतिस्मा लिया। उसकी माँ ने भी बपतिस्मा ले लिया है। उसकी पड़ोसिन रोस और रोस की बहन ने पिछले साल बपतिस्मा लिया। अब रोस की माँ लगातार सभाओं में जाती है। लाइला के परिवार के कुछ सदस्यों का अध्ययन अब भी चल रहा है। यह सब अस्पताल में एक व्यक्‍ति को गवाही देने का नतीजा है!

टेकनॉलजी के ज़रिए बधिरों तक पहुँचा जा रहा है

श्रीलंका में साइन लैंग्वेज मंडली काफी तरक्की कर रही है। सन्‌ 2015 में साक्षियों के पास 80 से भी कम बधिरों के पते थे और ये पते कागज़ के टुकड़ों पर लिखे हुए थे। कुछ समय बाद पहली साइन लैंग्वेज मंडली बनायी गयी और कंप्यूटर पर एक डेटाबेस बनाया गया जिसमें करीब 420 नाम और पते हैं, साथ ही यह भी दर्ज़ किया गया है कि उनके घरों का जीपीएस लोकेशन क्या है। भाइयों ने उनमें से करीब 80 प्रतिशत लोगों से मुलाकात की है या वीडियो चैट या एसएमएस के ज़रिए बात की है। एक मिशनरी जोड़े ने कहा, “पहले हमारे बधिर भाई-बहन सिर्फ उन बधिरों को प्रचार करते थे जिन्हें वे जानते थे। मगर अब उनके लिए प्रचार का एक इलाका है।”

एक सरकारी अधिकारी ने धन्यवाद दिया

मंगोलिया के भाई-बहन महानगरों में सरेआम गवाही देने के खास इंतज़ाम में ज़ोर-शोर से हिस्सा लेते हैं। वे ऐसे मौसम में भी गवाही देते हैं जब तापमान माइनस 30 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है। एक सरकारी अधिकारी ने ट्रॉली से हमारे प्रकाशन लिए और फिर धन्यवाद कहने के लिए एक चिट्ठी लिखी। चिट्ठी में लिखा था, “मैं बौद्ध धर्म को मानता हूँ। मगर मैंने दूसरे क्षेत्रों में भी खोजबीन की है क्योंकि मेरा यह उसूल है कि हमें सिर्फ एक रास्ते को पकड़े नहीं रहना चाहिए बल्कि देखना चाहिए कि और कौन-कौन-से रास्ते हैं। आप सब लोगों को जो किताबें देते हैं उनमें से कुछ मैंने पढ़ी हैं। इसलिए मैंने यह चिट्ठी लिखकर बताने की सोची कि मुझे कैसा लगा। मैं साफ देख सकता हूँ कि आप यह फायदेमंद जानकारी देने के लिए कितना समय लगाते हैं और कितनी मेहनत करते हैं। आपकी किताबों से मैंने एक बात सीखी है कि बाइबल एक ऐसी किताब है जिसे हर इंसान को पढ़ना चाहिए। इस किताब में सच्चाई है। बाइबल हमें ज़िंदगी के लिए सही सलाह देती है। मैं उन सबका धन्यवाद करना चाहता हूँ जो मंगोलियाई भाषा में इन किताबों का अनुवाद करने के लिए बहुत मेहनत करते हैं। मैं उन सबका भी धन्यवाद करना चाहता हूँ जो बाहर खड़े होकर लोगों को किताबें देते हैं, फिर चाहे तपती गरमी हो या कड़ाके की ठंड।”

मंगोलिया: ठंड में सरेआम गवाही दी जा रही है

उसकी प्रार्थना सुनी गयी

हांगकांग में एक पायनियर भाई ब्रैट एक जवान आदमी के पास गया जो करीब 30 साल का है और उसे यह परचा दिया, सुखी परिवार का राज़ क्या है? यह परचा देखकर उसकी आँखें भर आयीं। उसने बताया कि उसकी परवरिश सच्चाई में हुई थी, मगर जब वह 16 साल का था तो वह घर से भाग गया। अगले पाँच साल तक वह सड़कों पर रहा और उसे नशीली दवाओं की लत लग गयी। फिर एक समाज सेवी संस्था ने उसे सहारा दिया।

उसने यह भी बताया कि उसी सुबह उसने परमेश्वर से यह प्रार्थना की थी, “मुझे बचपन में जिस धर्म को मानना सिखाया गया था, वह अगर सही है तो दया करके मुझे इसकी एक निशानी दे।” अब उसे लगा कि उसकी प्रार्थना का जवाब मिल गया है। वे दोनों पास के एक कॉफी शॉप में गए और वहाँ उन्होंने यहोवा के पास लौट आइए ब्रोशर में दी जानकारी पर चर्चा की। उस जवान आदमी को उसी शाम फ्रांस लौटना था, इसलिए उन्होंने एक-दूसरे को आगे संपर्क करने की जानकारी दी। बाद में उस जवान ने ब्रैट को लिखा, “मेरे प्यारे भाई, यहोवा ने मेरी प्रार्थनाओं का जवाब दिया है। मैं रविवार को सबसे पास के राज-घर जाऊँगा।” उसने फ्रांस में साक्षियों से संपर्क किया और बाइबल का अध्ययन करना और सभाओं में जाना शुरू कर दिया।