पहले पेज का विषय | दुख की घड़ी में तसल्ली कैसे पाएँ?
दुख की घड़ी में तसल्ली पाना
मुसीबतें कई तरह की होती हैं। हम यहाँ सभी तरह की मुसीबतों के बारे में बात तो नहीं कर सकते, पर आइए हम उन चार मुसीबतों पर गौर करें, जिनका पहले लेख में ज़िक्र किया गया था। ध्यान दीजिए कि कैसे कुछ लोगों ने अलग-अलग मुसीबतों का सामना करते वक्त परमेश्वर से तसल्ली पायी।
जब नौकरी छूट जाए
सुमित * कहता है, “मेरी और मेरी पत्नी प्राची की नौकरी एक ही वक्त पर छूट गयी। दो साल तक हमारे घर का खर्च बड़ी मुश्किल से चला। कभी परिवारवाले हमारी थोड़ी-बहुत मदद कर देते, तो कभी हमें कोई छोटी-मोटी नौकरी मिल जाती। इन हालातों की वजह से मेरी पत्नी बहुत उदास रहने लगी। मुझे भी लगने लगा कि मैं किसी काम का नहीं हूँ।”
‘इस मुश्किल हालात का सामना करने के लिए प्राची यीशु की यह बात मन ही मन दोहराती कि हमें कल की चिंता नहीं करनी चाहिए क्योंकि हर दिन की अपनी ही चिंताएँ होती हैं। (मत्ती 6:34) वह दिल से प्रार्थना भी करती रही जिससे उसे हिम्मत मिली। और जहाँ तक मेरी बात है, मुझे शास्त्र में लिखी इस बात से बहुत तसल्ली मिली कि हमें अपना सारा बोझ यहोवा पर डाल देना चाहिए। (भजन 55:22) मैंने वैसा ही किया और यहोवा मुझे सँभाले रहा। हालाँकि अब मेरी अच्छी नौकरी है, लेकिन हमने यीशु की सलाह को ध्यान में रखकर अपना जीवन सादा बनाए रखा है। (मत्ती 6:20-22) अब हमारा एक-दूसरे के साथ और खासकर परमेश्वर के साथ रिश्ता और भी गहरा हुआ है।’
जॉनाथन कहता है, “जब हमारा छोटा-सा खानदानी कारोबार ठप्प हो गया, तो मैं यह सोचकर घबरा गया कि अब क्या होगा। आर्थिक व्यवस्था में मंदी होने की वजह से हमारी 20 साल की मेहनत मिट्टी में मिल चुकी थी। मेरा और मेरी पत्नी का आपस में पैसे को लेकर झगड़ा होने लगा। हम क्रेडिट कार्ड से कुछ खरीद नहीं सकते थे, क्योंकि हमें डर था कि क्रेडिट कार्ड कंपनी हमें कार्ड पर खरीददारी नहीं करने देगी।”
“लेकिन शास्त्र और परमेश्वर की मदद से हमने सही फैसले किए। मैंने सीखा कि मुझे जो भी काम मिले, उसे करने से पीछे नहीं हटना चाहिए। हमने अपने गैर-ज़रूरी खर्चे भी कम कर दिए। इस मुश्किल घड़ी में हमारे दोस्त यानी यहोवा के साक्षी बहुत काम आए। उन्होंने हमारी हिम्मत बँधाई और हमारी मदद की।”
जब आपका साथी आपको छोड़कर चला जाए
राकेल कहती है, “जब मेरे पति अचानक मुझे छोड़कर चले गए, तो मुझे बहुत दुख हुआ और गुस्सा भी आया। मन की शांति के लिए मैंने परमेश्वर से रोज़ प्रार्थना की। मुझे इससे तसल्ली मिलती और यहोवा से मेरी दोस्ती भी गहरी होती गयी। ऐसा लगा कि उसने मेरे घाव भर दिए हैं।”
‘शास्त्र में दी सलाह मानने से मैं अपने गुस्से और नफरत पर काबू कर पायी। मैंने पौलुस के कहे ये शब्द गाँठ बाँध लिए, “बुराई से न हारो बल्कि भलाई से बुराई को जीतते रहो।”’—रोमियों 12:21.
“एक अच्छे दोस्त ने इस दुख से उबरने में मेरी बहुत मदद की। उसने मुझे शास्त्र से सभोपदेशक 3:6 में लिखी बात बतायी, जहाँ लिखा है कि हरेक चीज़ का समय होता है और ‘खो देने का भी समय’ होता है। बीती बातों को भूलना मेरे लिए बहुत मुश्किल था, लेकिन मेरे लिए यही सही था। अब मैं उन सब बातों के बारे में नहीं सोचती। इसके बजाय ऐसे काम करती हूँ, जिनसे मुझे खुशी मिले।”
ईशा कहती है, “जीवन-साथी के साथ छोड़ देने पर आप पूरी तरह टूट जाते हैं। आप सहारा ढूँढ़ने लगते हैं। ऐसे में मेरी एक अच्छी सहेली ने मेरा बहुत साथ दिया। वह मेरे साथ-साथ रोती और मुझे तसल्ली भी देती। मुझे यकीन है कि यहोवा ने ही उसे मेरी मदद के लिए भेजा था। जब कभी मैं सोचती कि मुझसे कोई प्यार नहीं करता, तो वह मुझे यकीन दिलाती कि ऐसा नहीं है, आज भी कई लोग हैं जो तुम्हें बहुत प्यार करते हैं।”
जब बीमारी या बुढ़ापा आ घेरे
लूईस, जिनका शुरूआती लेख में ज़िक्र किया गया था, उन्हें दिल की बीमारी है। वे दो बार मरते-मरते बचे। उन्हें दिन के 16 घंटे ऑक्सीजन पर रहना पड़ता है। वे कहते हैं, “मैं यहोवा से हर वक्त प्रार्थना करता रहता हूँ। प्रार्थना करने के बाद मुझे लगता है कि परमेश्वर मुझे ताकत दे रहा है। प्रार्थना करने से मुझे हिम्मत मिलती है क्योंकि मुझे यहोवा पर विश्वास है और मैं जानता हूँ कि उसे मेरी परवाह है।”
पुष्पा, जो लगभग 80 साल की हैं, कहती हैं, “मैं बहुत कुछ करना चाहती हूँ, पर कर नहीं पाती क्योंकि मुझमें पहली जैसी ताकत नहीं रही। यह सोचकर मैं उदास हो जाती हूँ। मुझे बहुत कमज़ोरी लगती है और मैं दवाइयों के सहारे जीती हूँ। मुझे यीशु की वह बात हमेशा याद रहती है जो उसने अपने पिता से एक मुसीबत का सामना करते वक्त कही थी। उसने कहा कि अगर हो सके तो पिता उसकी इस मुसीबत को दूर कर दे। यहोवा ने मुसीबत दूर नहीं की, बल्कि उसने यीशु को सहने की ताकत दी और वैसे ही वह मुझे भी देता है। मैं हर दिन परमेश्वर मत्ती 26:39.
से प्रार्थना करती हूँ और यह मेरे लिए दवाई का काम करती है।”—हूल्यान को भी ऐसा ही लगता है। उसे पिछले 30 साल से मल्टीपल सक्लेरोसिस है (यह एक ऐसी बीमारी है जिसमें शरीर के कुछ अंगों को लकवा मार जाता है)। वह कहता है, “अब मैं मैनेजर की कुर्सी पर नहीं, अपाहिजों की कुर्सी पर बैठता हूँ। लेकिन मेरी ज़िंदगी बेकार नहीं है क्योंकि मैं इसे दूसरों की सेवा में लगाता हूँ। ऐसा करने से मेरा ध्यान मेरी तकलीफ पर नहीं जाता। यहोवा ने वादा किया है कि वह ज़रूरत के समय हमें हिम्मत देगा और वह अपनी बात का पक्का है। पौलुस की तरह मैं भी कह सकता हूँ, ‘जो मुझे ताकत देता है, उसी से मुझे सब बातों के लिए शक्ति मिलती है।’”—फिलिप्पियों 4:13.
जब किसी अपने की मौत हो जाए
अखिल के पिता की एक कार दुर्घटना की वजह से मौत हो गयी। वह कहता है, “वे तो अपने रास्ते जा रहे थे, फिर कोई उनके साथ ऐसा कैसे कर सकता था? लेकिन जो हुआ, वह मेरे बस में नहीं था। पाँच दिन कोमा में रहने के बाद उनकी मौत हो गयी। मैं यकीन ही नहीं कर पा रहा था। माँ के सामने तो किसी तरह खुद को सँभाल लेता, पर जब मैं अकेला होता, तो खूब रोता। खुद से यही पूछता रहता कि ऐसा क्यों हुआ?”
“मैं खुद को सँभालने और मन शांत करने के लिए यहोवा से प्रार्थना करता रहता। धीरे-धीरे मैं अपने दुख से उबर पाया। मुझे शास्त्र की इस बात से तसल्ली मिली कि इस तरह का हादसा किसी के साथ भी हो सकता है।” अखिल को परमेश्वर के इस वादे पर यकीन है कि वह उन लोगों को दोबारा ज़िंदा करेगा, जो अब नहीं रहे। वह कहता है, “परमेश्वर झूठ नहीं बोलता इसलिए मुझे यकीन है कि मैं पापा से ज़रूर मिलूँगा।”—सभोपदेशक 9:11; यूहन्ना 11:25; तीतुस 1:2.
रौबर्ट, जिसका ज़िक्र पहले लेख में किया गया है, उसका भी यही मानना है। वह कहता है, ‘यहोवा से प्रार्थना करने से मुझे और मेरी पत्नी मारीबेल को वह शांति मिली जिसके बारे में शास्त्र में बताया गया है। (फिलिप्पियों 4:6, 7) इस वजह से हम पत्रकारों से अच्छी तरह बात कर पाए और उन्हें यकीन से बता पाए कि एक दिन हम अपने बेटे से ज़रूर मिलेंगे। हालाँकि विमान दुर्घटना में हमारे बेटे की मौत हो गयी, लेकिन इस बारे में सोचते रहने के बजाय हम उन अच्छे दिनों को याद करते हैं, जो हमने उसके साथ बिताए थे।’
“हमारी सभा के भाई-बहनों ने हमें बताया कि उन्होंने टीवी पर देखा कि हमने पत्रकारों को दोबारा जी उठने के बारे में कितने अच्छे से बताया। हमने कहा कि आपकी प्रार्थनाओं की वजह से हम ऐसा कर पाए। मुझे यकीन है कि यहोवा भाई-बहनों के ज़रिए हमें हिम्मत दे रहा है।”
इस लेख में बताए गए लोगों की बातों से हम यह समझ पाते हैं कि चाहे कोई कैसी भी परेशानी में क्यों न हो, परमेश्वर उसे तसल्ली दे सकता है। आप भी यकीन कर सकते हैं कि परमेश्वर मुश्किलों के दौरान आपको हिम्मत देगा। * आप यहोवा से प्रार्थना करके उससे मदद माँग सकते हैं। वह “हर तरह का दिलासा देनेवाला परमेश्वर है।”—2 कुरिंथियों 1:3. ▪ (wp16-E No. 5)
^ पैरा. 5 इस लेख में कुछ नाम बदल दिए गए हैं।
^ पैरा. 23 अगर आप परमेश्वर के बारे में और सीखना चाहते हैं, तो आप अपने इलाके के यहोवा के साक्षियों से या फिर उनके किसी नज़दीकी शाखा दफ्तर से संपर्क कर सकते हैं।