अध्ययन लेख 24
यहोवा—माफ करने में बेमिसाल!
“हे यहोवा, तू भला है और माफ करने को तत्पर रहता है, तू उन सबके लिए अटल प्यार से भरपूर है जो तुझे पुकारते हैं।”—भज. 86:5.
गीत 42 परमेश्वर के सेवक की प्रार्थना
एक झलक *
1. सभोपदेशक 7:20 में सुलैमान ने जो कहा, उससे हमें क्या पता चलता है?
हज़ारों साल पहले राजा सुलैमान ने लिखा था, “धरती पर ऐसा कोई नेक इंसान नहीं, जो हमेशा अच्छे काम करता है और कभी पाप नहीं करता।” (सभो. 7:20) सच में, हम सब कभी-न-कभी पाप कर बैठते हैं। (1 यूह. 1:8) लेकिन फिर हमें बुरा लगता है कि हमने परमेश्वर या दूसरों का दिल दुखाया और इसलिए हम चाहते हैं कि वे हमें माफ कर दें।
2. जब आपका कोई दोस्त आपको माफ कर देता है, तो आपको कैसे लगता है?
2 शायद आपने भी कभी अपने दोस्त का दिल दुखाया हो। लेकिन फिर आपको अपनी गलती का एहसास हुआ और आपने उससे दिल से माफी माँगी, क्योंकि आप नहीं चाहते थे कि आपकी दोस्ती टूट जाए। फिर आपके दोस्त ने आपको माफ कर दिया। उस वक्त आपको कैसा लगा? आपको बहुत खुशी हुई होगी और सुकून मिला होगा।
3. इस लेख में हम क्या जानेंगे?
3 हम सब चाहते हैं कि यहोवा हमारा सबसे अच्छा दोस्त हो। लेकिन कभी-न-कभी हम सब कुछ ऐसा कर बैठते हैं जिससे यहोवा को दुख होता है। पर हम क्यों यकीन रख सकते हैं कि यहोवा हमें माफ करने को तैयार रहता है? जिस तरह यहोवा किसी को माफ करता है और जिस तरह हम इंसान एक-दूसरे को माफ करते हैं, उसमें क्या फर्क है? और अगर हम चाहते हैं कि यहोवा हमें माफ करे, तो हमें क्या करना होगा? इस लेख में हम इन तीन सवालों के जवाब जानेंगे।
यहोवा माफ करने को तैयार रहता है
4. हम क्यों यकीन रख सकते हैं कि यहोवा हमें माफ करने को तैयार रहता है?
4 यहोवा ने खुद बाइबल में लिखवाया है कि वह हमें माफ करने को तैयार रहता है। सीनै पहाड़ पर उसने एक स्वर्गदूत के ज़रिए अपने बारे में बताया, “यहोवा, यहोवा परमेश्वर दयालु और करुणा से भरा है, क्रोध करने में धीमा और अटल प्यार और सच्चाई से भरपूर है, हज़ारों पीढ़ियों से प्यार करता है, वह गुनाहों, अपराधों और पापों को माफ करता है।” (निर्ग. 34:6, 7) इससे हमें पता चलता है कि यहोवा हमसे बहुत प्यार करता है और हम पर दया करता है। और अगर कोई पश्चाताप करे, तो वह उसे माफ करने को तैयार रहता है।—नहे. 9:17; भज. 86:15.
5. यहोवा हमें अच्छी तरह जानता है, इस वजह से वह क्या करता है? (भजन 103:13, 14)
5 यहोवा ने हमें बनाया है, इसलिए वह हमारी रग-रग से वाकिफ है। उसे धरती पर रहनेवाले हर इंसान के बारे में सबकुछ पता है। (भज. 139:15-17) वह जानता है कि हम अपरिपूर्ण हैं और हममें कौन-सी कमज़ोरियाँ हैं। उसे मालूम है कि हमारी ज़िंदगी में क्या-क्या हुआ है और आज हम जैसे हैं, वैसे क्यों हैं। सच में, यहोवा हमें बहुत अच्छी तरह जानता है। और इसी वजह से वह हम पर दया करता है।—भज. 78:39; भजन 103:13, 14 पढ़िए।
6. यहोवा ने कैसे साबित किया कि वह हमें माफ करने को तैयार है?
6 यहोवा साबित कर चुका है कि वह हमें माफ करने को तैयार है। आइए जानें कि हम यह क्यों कह सकते हैं। यहोवा को पता है कि हम सब आदम की गलती की वजह से पाप और मौत के चंगुल में फँस गए। (रोमि. 5:12) और हम अपने-आप इस चंगुल से नहीं निकल सकते थे, न ही किसी और को इससे निकाल सकते थे। (भज. 49:7-9) पर यहोवा हमसे बहुत प्यार करता है, इसलिए उसने एक बहुत अच्छा इंतज़ाम किया। जैसा यूहन्ना 3:16 में बताया गया है, यहोवा ने अपने इकलौते बेटे को धरती पर भेजा ताकि वह हमारे लिए अपनी जान दे दे। (मत्ती 20:28; रोमि. 5:19) यीशु ने हमारी खातिर खुद को कुरबान कर दिया। इसलिए जो कोई उस पर विश्वास करता है, वह पाप और मौत की गुलामी से आज़ाद हो सकता है। (इब्रा. 2:9) सोचिए उस वक्त यहोवा को कितना दर्द हुआ होगा, जब उसके बेटे को एक अपराधी की तरह काठ पर लटकाकर बेरहमी से मार डाला गया। अगर यहोवा हमें माफ नहीं करना चाहता, तो अपने बेटे को इस तरह क्यों मरने देता?
7. कुछ ऐसे लोगों के बारे में बताइए जिन्हें यहोवा ने माफ कर दिया था।
7 बाइबल में ऐसे कई लोगों के बारे में बताया गया है जिन्हें यहोवा ने माफ कर दिया था। (इफि. 4:32) क्या आपको कोई ऐसा व्यक्ति याद आता है? राजा मनश्शे के बारे में सोचिए। उसने बहुत बड़े-बड़े पाप किए। वह झूठे देवताओं की उपासना करने लगा और उसने दूसरों को भी ऐसा करने का बढ़ावा दिया। उसने झूठे देवताओं के आगे अपने बच्चों की बलि भी चढ़ा दी, यहाँ तक कि यहोवा के मंदिर में एक मूरत लाकर खड़ी कर दी। उसके बारे में बाइबल में लिखा है, “उसने ऐसे काम करने में सारी हदें पार कर दीं जो यहोवा की नज़र में बुरे थे और उसका क्रोध भड़काया।” (2 इति. 33:2-7) लेकिन जब उसने दिल से पश्चाताप किया, तो यहोवा ने उसे माफ कर दिया। उसने उसे दोबारा इसराएल का राजा भी बना दिया। (2 इति. 33:12, 13) अब ज़रा राजा दाविद के बारे में सोचिए। उसने भी बहुत बड़े-बड़े पाप किए थे। जैसे उसने व्यभिचार किया और एक बेगुनाह आदमी को मरवा डाला। लेकिन जब उसने अपनी गलती कबूल की और सच्चा पश्चाताप किया, तो यहोवा ने उसे भी माफ कर दिया। (2 शमू. 12:9, 10, 13, 14) इन उदाहरणों से पता चलता है कि यहोवा हमें माफ करने को तैयार रहता है। अब आइए जानें कि यहोवा जिस तरह हमें माफ करता है और हम इंसान जैसे एक-दूसरे को माफ करते हैं, उसमें क्या फर्क है।
यहोवा की बराबरी कोई नहीं कर सकता
8. किसी को माफ करना है या नहीं, यह फैसला यहोवा ही सबसे अच्छी तरह क्यों ले सकता है?
8 यहोवा ‘सारी दुनिया का न्यायी’ है। (उत्प. 18:25) और इस मामले में कोई उसकी बराबरी नहीं कर सकता। हम ऐसा क्यों कह सकते हैं? एक न्यायी को सही फैसला लेने के लिए कानून की अच्छी समझ होनी चाहिए। और यहोवा ने ही हमें कानून दिया है! (यशा. 33:22) उससे बेहतर कानून को और कोई नहीं जानता। वही सबसे अच्छी तरह जानता है कि सही क्या है और गलत क्या। इसके अलावा एक न्यायी को कोई भी फैसला सुनाने से पहले मामले की पूरी जानकारी होनी चाहिए। और यहोवा को तो सबकुछ मालूम है, इसलिए उससे अच्छा न्यायी और कोई नहीं।
9. जब यहोवा फैसला करता है कि वह किसी को माफ करेगा या नहीं, तो वह क्या-क्या देखता है?
9 जब इंसान न्याय करते हैं, तो कभी-कभी उन्हें मामले की पूरी जानकारी नहीं होती। लेकिन यहोवा के साथ ऐसा कभी नहीं होता। (उत्प. 18:20, 21; भज. 90:8) इंसान जो देखते हैं या सुनते हैं, उसी के आधार पर फैसला करते हैं। लेकिन यहोवा एक इंसान के दिल में झाँक सकता है। वह जानता है कि एक व्यक्ति किस माहौल में पला-बढ़ा, उसमें क्या कमज़ोरियाँ हैं और उसकी फितरत कैसी है। वह उसके जज़्बातों और उसकी मानसिक हालत को भी अच्छी तरह समझता है। वह जानता है कि एक व्यक्ति ने किस इरादे से या क्या सोचकर कोई काम किया। यहोवा की नज़रों से कुछ नहीं छिप सकता। (इब्रा. 4:13) उसे मामले की पूरी जानकारी होती है और इसी आधार पर वह फैसला करता है कि किसी को माफ करना है या नहीं।
10. हम यह क्यों कह सकते हैं कि यहोवा का हर फैसला बिलकुल सही होता है? (व्यवस्थाविवरण 32:4)
10 यहोवा का हर फैसला बिलकुल सही होता है। वह कभी भेदभाव नहीं करता। वह यह नहीं देखता कि एक इंसान अमीर है या गरीब, उसका रंग-रूप कैसा है, वह रुतबेदार है या नहीं या उसमें कौन-से हुनर हैं। (1 शमू. 16:7; याकू. 2:1-4) कोई यहोवा को रिश्वत देकर उसे खरीद नहीं सकता, ना ही कोई उस पर दबाव डाल सकता है। (2 इति. 19:7) यहोवा कभी-भी गुस्से में आकर या जज़्बातों में बहकर कोई फैसला नहीं लेता। (निर्ग. 34:7) वह हमारे बारे में सबकुछ जानता है और उसे पता है कि हमने जो किया, वह क्यों किया। इसलिए इसमें कोई शक नहीं कि वह सबसे अच्छा न्यायी है।—व्यवस्थाविवरण 32:4 पढ़िए।
11. हम यह क्यों कह सकते हैं कि जैसे यहोवा माफ करता है वैसे और कोई नहीं कर सकता?
11 जिस तरह यहोवा दूसरों को माफ करता है, वैसे और कोई माफ नहीं कर सकता। यह बात इब्रानी शास्त्र के लेखक अच्छी तरह जानते थे। इसलिए जब उन्होंने यहोवा के माफ करने के बारे में बताया, तो कई जगहों पर उन्होंने एक खास शब्द इस्तेमाल किया। इस शब्द के बारे में एक किताब में लिखा है, “यह शब्द सिर्फ तब इस्तेमाल किया जाता है जब परमेश्वर किसी इंसान को माफ करता है। यह तब इस्तेमाल नहीं किया जाता जब एक इंसान दूसरे इंसान को माफ करता है, क्योंकि इंसान एक हद तक ही दूसरों को माफ कर सकते हैं।” सिर्फ यहोवा को ही किसी को पूरी तरह माफ करने का अधिकार है। जब यहोवा एक इंसान को माफ कर देता है, तो उस इंसान को कैसा लगता है?
12-13. (क) जब यहोवा एक इंसान को माफ करता है, तो उसे कैसा लगता है? (ख) यहोवा हमें किस तरह माफ करता है?
12 जब हम मान लेते हैं कि यहोवा ने हमें माफ कर दिया है, तो हमारी ज़िंदगी में “ताज़गी के दिन” आ जाते हैं। (प्रेषि. 3:19) हमें मन की शांति मिलती है और हमारा ज़मीर साफ रहता है। हमें तब ऐसा नहीं लगता, जब कोई इंसान हमें माफ करता है। हमें ऐसा सिर्फ तब लगता है जब यहोवा हमें माफ करता है। जब वह ऐसा करता है, तो उसके साथ हमारा रिश्ता फिर से पहले जैसा हो जाता है, मानो हमने पाप किया ही नहीं था।
13 जब यहोवा हमें माफ करता है, तो वह हमारे पाप पूरी तरह भूल जाता है। वह फिर कभी उनके लिए हमें सज़ा नहीं देता। (यशा. 43:25; यिर्म. 31:34) बाइबल में लिखा है कि यहोवा हमारे पापों को हमसे उतना दूर फेंक देता है जितना ‘पूरब पश्चिम से दूर है।’ * (भज. 103:12) इस बारे में सोचकर हमारा दिल यहोवा के लिए एहसान और श्रद्धा से भर जाता है। (भज. 130:4) पर आइए जानें कि यहोवा कब एक इंसान को माफ करता है।
यहोवा कब हमें माफ करेगा?
14. अब तक हमने क्या-क्या सीखा?
14 अब तक हमने क्या-क्या सीखा? यहोवा किसी को माफ करेगा या नहीं, यह फैसला वह इस आधार पर नहीं लेता कि एक व्यक्ति का पाप कितना बड़ा था। हमने यह भी देखा कि यहोवा ने हमें बनाया है, उसी ने हमें कानून दिए हैं और वह सबसे अच्छा न्यायी है। इस वजह से उसे हर मामले की बहुत अच्छी समझ होती है। लेकिन वह किसी को माफ करेगा या नहीं, यह तय करने के लिए वह कुछ और बातों को भी ध्यान में रखता है।
15. लूका 12:47, 48 के मुताबिक किसी को माफ करने से पहले यहोवा किस बात को ध्यान में रखता है?
15 एक बात जिसे यहोवा ध्यान में रखता है वह यह है कि क्या वह व्यक्ति जानता था कि वह जो कर रहा है वह गलत है। इस बारे में यीशु ने भी लूका 12:47, 48 में बताया। (पढ़िए।) अगर एक व्यक्ति कोई ऐसा काम करने की साज़िश करता है जिससे यहोवा सख्त नफरत करता है, तो वह एक गंभीर पाप करता है। ऐसे में शायद यहोवा उसे माफ ना करे। (मर. 3:29; यूह. 9:41) पर हम सब कभी-न-कभी जानबूझकर गलतियाँ कर देते हैं। तो क्या हमें कभी माफी नहीं मिल सकती? आइए देखें कि हम ऐसा क्या कर सकते हैं, ताकि यहोवा हमें माफ करे।
16. (क) पश्चाताप करने का क्या मतलब है? (ख) अगर हम चाहते हैं कि यहोवा हमें माफ कर दे, तो पश्चाताप करना क्यों ज़रूरी है?
16 यहोवा यह भी देखता है कि जिस व्यक्ति ने पाप किया है, उसने सच में पश्चाताप किया है या नहीं। पश्चाताप करने का मतलब है, “अपनी गलत सोच या रवैए को सुधारना।” जो व्यक्ति पश्चाताप करता है, उसे इस बात का बहुत अफसोस होता है कि उसने गलत काम किया या उसे जो करना चाहिए था वह उसने नहीं किया। उसे इस बात का भी गहरा दुख होता है कि यहोवा के साथ उसका रिश्ता इतना कमज़ोर पड़ गया था कि वह पाप कर बैठा। राजा मनश्शे और राजा दाविद ने भी गंभीर पाप किए थे। लेकिन जब यहोवा ने देखा कि उन्होंने दिल से पश्चाताप किया है, तो उसने उन्हें माफ कर दिया। (1 राजा 14:8) अगर हम भी चाहते हैं कि यहोवा हमें माफ करे, तो पश्चाताप करना ज़रूरी है। * क्योंकि जब यहोवा देखेगा कि हमें अपने किए पर अफसोस है और हम बदलना चाहते हैं, तभी वह हमें माफ करेगा। पर हमें कुछ और भी करना होगा। आइए इस बारे में और जानें।
17. खुद को बदलने का क्या मतलब है और ऐसा करना क्यों ज़रूरी है? (यशायाह 55:7)
17 यहोवा यह भी देखता है कि क्या एक व्यक्ति ने खुद को बदला है या नहीं। खुद को बदलने के लिए एक व्यक्ति को बुरी राह पर चलना छोड़ना होगा और ऐसे काम करने होंगे जो यहोवा की नज़र में सही हैं। (यशायाह 55:7 पढ़िए।) उसे अपनी सोच बदलनी होगी और उस तरह सोचना होगा जैसे यहोवा सोचता है। (रोमि. 12:2; इफि. 4:23) उसे ठान लेना होगा कि अब से वह ना तो बुरी बातों के बारे में सोचेगा, ना ही बुरे काम करेगा। (कुलु. 3:7-10) यह सच है कि यहोवा यीशु मसीह के फिरौती बलिदान के आधार पर हमारे “सभी पापों को धोकर हमें शुद्ध” करने को तैयार रहता है। लेकिन वह ऐसा तभी करेगा जब हम खुद को बदलने की पूरी कोशिश करेंगे और बुरे काम करना छोड़ देंगे।—1 यूह. 1:7.
यहोवा आपको ज़रूर माफ करेगा
18. हम क्यों कह सकते हैं कि माफ करने के मामले में कोई भी यहोवा की बराबरी नहीं कर सकता?
18 सच में, माफ करने के मामले में कोई भी यहोवा की बराबरी नहीं कर सकता। हम ऐसा क्यों कह सकते हैं? इस लेख में हमने इसकी कई वजह देखीं। (1) वह हमेशा माफ करने को तैयार रहता है। (2) वह हमारे बारे में सबकुछ जानता है और वही सही-सही पता लगा सकता है कि हमने सच में पश्चाताप किया है कि नहीं। (3) वह हमारा पाप पूरी तरह माफ कर देता है मानो हमने कभी वह पाप किया ही नहीं था। इस वजह से हमारा ज़मीर साफ रहता है और यहोवा के साथ हमारा रिश्ता पहले जैसा हो जाता है।
19. हमसे कई गलतियाँ हो जाती हैं, फिर भी हम क्यों खुश रह सकते हैं?
19 हम अपरिपूर्ण हैं, इसलिए हम पाप करते रहेंगे। लेकिन हमें अपनी गलतियों के बारे में सोच-सोचकर बहुत दुखी नहीं हो जाना चाहिए। (भज. 103:8-14; 130:3) यहोवा को मालूम है कि हममें कई कमज़ोरियाँ हैं और वह हम पर दया करता है। अगर हम यहोवा के स्तरों को मानने की पूरी कोशिश करें, तो हम खुश रह सकते हैं। (फिलि. 4:4-6; 1 यूह. 3:19-22) इस बारे में सोचकर हमें कितना दिलासा मिलता है!
20. अगले लेख में हम किस बारे में चर्चा करेंगे?
20 जब हमें अपने किए पर सच में अफसोस होता है, तो यहोवा हमें माफ करने को तैयार रहता है। यह जानकर हमें कितना सुकून मिलता है! पर हम यहोवा की तरह दूसरों को कैसे माफ कर सकते हैं? जिस तरह हम दूसरों को माफ करते हैं और जिस तरह यहोवा हमें माफ करता है, उसमें कौन-सी बात एक जैसी है और क्या फर्क है? और इस फर्क को समझना क्यों ज़रूरी है? अगले लेख में हम इन सवालों के जवाब जानेंगे।
गीत 45 मेरे मन के विचार
^ यहोवा ने बाइबल में लिखवाया है कि अगर किसी से कोई गलती हो जाती है, मगर फिर वह व्यक्ति पश्चाताप करता है, तो वह उसे माफ करने को तैयार रहता है। पर कभी-कभी शायद हम सोचें, ‘मुझे तो परमेश्वर कभी माफ नहीं करेगा।’ इस लेख में हम जानेंगे कि हम क्यों यकीन रख सकते हैं कि अगर हमें सच में अपने किए पर अफसोस हो, तो यहोवा हमें ज़रूर माफ करेगा।
^ इसका क्या मतलब है? “पश्चाताप” करने का मतलब है, अपना मन बदलना। साथ ही अपनी बीती ज़िंदगी पर, गलत कामों के लिए या जो करना चाहिए था उसे न करने की वजह से दिल से अफसोस करना। सच्चा पश्चाताप कामों से दिखाया जाता है: एक इंसान बुरी राह छोड़कर सही राह पर चलने लगता है।