इस जानकारी को छोड़ दें

विषय-सूची को छोड़ दें

क्या बात हमें अच्छा या बुरा बनाती है?

क्या बात हमें अच्छा या बुरा बनाती है?

बाइबल क्या कहती है?

क्या बात हमें अच्छा या बुरा बनाती है?

इतिहास के पन्‍ने नफरत और खून-खराबे के किस्सों से भरे पड़े हैं, लेकिन कभी-कभी इन्हीं पन्‍नों में इंसानियत की खातिर दिखायी गयी भलाई और त्याग की भावना के किस्से भी पढ़ने को मिलते हैं। आखिर क्यों एक इंसान बेरहम कातिल बन जाता है और एक दूसरा इंसान परवाह करनेवाला और लोगों की मदद करनेवाला? क्यों इंसानों के व्यवहार में कभी-कभी जानवर-सी फितरत दिखायी देती है?

असिद्धता और हमारा ज़मीर

बाइबल साफ-साफ बताती है: “मनुष्य के मन में बचपन से जो कुछ उत्पन्‍न होता है सो बुरा ही होता है।” (उत्पत्ति 8:21) इसलिए बच्चों का झुकाव बुराई की तरफ रहता है। (नीतिवचन 22:15) दरअसल जन्म से ही हम सबका रुझान बुराई की तरफ है। (भजन 51:5) इसलिए भलाई करने के लिए हमें जद्दोजेहद करनी पड़ती है। ठीक उसी तरह, जैसे पानी के बहाव के खिलाफ नाव खेने में मेहनत लगती है।

हालाँकि हमारा झुकाव बुराई की तरफ होता है, लेकिन हममें एक ज़मीर भी है। यह ज़मीर, सही गलत में फर्क करने की पैदाइशी काबिलीयत है। यह हममें से ज़्यादातर को उभारता है कि हम वह काम करें जिसे लोग सही मानते हैं। इसी वजह से, जो लोग परमेश्‍वर के नैतिक उसूलों से अनजान हैं, वे भी अपने नेक कामों के लिए जाने जाते हैं। (रोमियों 2:14, 15) पर जैसे ऊपर बताया गया है, गलत कामों की तरफ हमारे रुझान की वजह से सही-गलत में फर्क करना हमारे लिए मुश्‍किल होता है। और क्या बात सही-गलत के बीच फर्क करना हमारे लिए मुश्‍किल कर देती है।

बुरा माहौल

गिरगिट के इर्द-गिर्द जिस रंग की चीज़ें होती हैं वह खुद को हू-ब-हू उसी रंग में बदल लेता है। उसी तरह, अपराधियों के साथ दोस्ती करनेवाला भी उन्हीं के रंग में रंग जाता है। यानी उसकी सोच और तौर-तरीके अपराधियों की तरह हो जाते हैं। इसलिए बाइबल खबरदार करती है: “तू बुराई करने के लिये भीड़ के पीछे न हो लेना।” (निर्गमन 23:2, NHT) वहीं दूसरी तरफ नेक, ईमानदार और शरीफ लोगों के साथ मेल-जोल रखने से हमें भी अच्छे काम करने का बढ़ावा मिलता है।—नीतिवचन 13:20.

हम शायद सोचें, हम तो बुरे लोगों के साथ कोई नाता नहीं रखते, तो हम पर कोई बुरा असर नहीं होगा। लेकिन ऐसा सोचना सही नहीं। क्योंकि हम असिद्ध इंसान हैं और बुराई हमारे मन में छिपी हुई है और यह मौका देखते ही हमें बुरा करने के लिए लुभाती है। (उत्पत्ति 4:7) और-तो-और मीडिया के ज़रिए भी बुराई हमारे घर में घुस सकती है। वीडियो गेम्स, टी.वी कार्यक्रम और फिल्में खून-खराबे और बदला लेने जैसे कामों को खूब परोसती हैं। यहाँ तक कि दुनिया या अपने इलाके की खबरें सुनने या पढ़ने से हमारा मन इस कदर सुन्‍न पड़ सकता है कि हम लोगों की तकलीफों या चिंताओं को महसूस ही न कर पाएँ।

तो फिर दुनिया में फैली बुराई के लिए आखिर कौन ज़िम्मेदार है? इसका जवाब देते हुए बाइबल कहती है: “सारी दुनिया शैतान के कब्ज़े में पड़ी हुई है।” (1 यूहन्‍ना 5:19) बाइबल खुलासा करती है कि शैतान इब्‌लीस, झूठा और हत्यारा है। (यूहन्‍ना 8:44) और वह अपनी दुनिया के ज़रिए हर तरफ बुराई फैलाता है।

वाकई हमारी असिद्धता, बुरा माहौल और शैतान का हमारे सोच-विचार और रवैए पर गहरा असर होता है। इसलिए कुछ लोग शायद सोचें कि उनके बुरे कामों के लिए वे ज़िम्मेदार नहीं। लेकिन क्या यह सही है? जिस तरह स्टियरिंग व्हील से कार पर काबू रखा जाता है और रडर (पतवार) से ज़हाज पर, ठीक उसी तरह दिमाग से शरीर को काबू में रखा जाता है।

आप अच्छे बनेंगे या बुरे—आप खुद चुन सकते हैं

एक इंसान जो भी काम करता है फिर चाहे वह अच्छा हो या बुरा, उसे करने से पहले वह अपने मन में उस बारे में सोचता है। इसलिए अगर वह अच्छी और भली बातों पर सोचे, तो वह अच्छे काम कर पाएगा। इसके उलट, अगर वह अपने मन में स्वार्थी इच्छाओं को पनपने दे, तो वह बुरे काम कर बैठेगा। (लूका 6:43-45; याकूब 1:14, 15) इसलिए यह कहना सही होगा कि एक इंसान खुद चुन सकता है कि वह अच्छा बनेगा या बुरा।

खुशी की बात है कि बाइबल बताती है कि हम भलाई करना सिख सकते हैं। (यशायाह 1:16, 17) प्यार एक ऐसा गुण है जो हमें भलाई करने के लिए उकसाता है क्योंकि “प्यार अपने पड़ोसी के बुरे के लिए काम नहीं करता।” (रोमियों 13:10) जब हम अपने दिल में दूसरों के लिए प्यार बढ़ाते हैं, तो हमारे मन में यह विचार आएगा ही नहीं कि हम किसी का बुरा करें।

यही बात अमरीका के पेन्सिलवेनिया राज्य में रहनेवाले रे ने सीखी। बहुत ही छोटी उम्र से वह लड़ाई-झगड़े करने लगा। जल्द ही वह एक ऐसे इंसान के तौर पर मशहूर हो गया, जो लड़ने-मरने को हमेशा तैयार रहता है। रे बड़े गरम मिज़ाज का था। लेकिन बाइबल उसूलों पर चलकर उसने धीरे-धीरे अपनी ज़िंदगी में बदलाव किए। लेकिन यह उसके लिए आसान नहीं था। कभी-कभी वह बाइबल के एक लेखक पौलुस की तरह महसूस करता था: “जब मैं अच्छा करना चाहता हूँ, तो अपने अंदर बुराई को ही पाता हूँ।” (रोमियों 7:21) मगर रे की सालों की मेहनत रंग लायी और वह ‘भलाई से बुराई को’ जीत पाया।—रोमियों 12:21.

क्यों “भले मनुष्यों के मार्ग” पर चलने में जो मेहनत लगती है वह बेकार नहीं जाएगी? (नीतिवचन 2:20-22) क्योंकि जल्द ही अच्छाई की बुराई पर जीत होगी। बाइबल कहती है: “कुकर्मी लोग काट डाले जाएंगे. . . थोड़े दिन के बीतने पर दुष्ट रहेगा ही नहीं. . . परन्तु नम्र लोग पृथ्वी के अधिकारी होंगे, और बड़ी शान्ति के कारण आनन्द मनाएंगे।” (भजन 37:9-11) जी हाँ, परमेश्‍वर हर तरह की बुराई को मिटा देगा। वाकई उन लोगों के आगे क्या ही शानदार भविष्य रखा है, जो अच्छे काम करने की भरसक कोशिश करते हैं! (g10-E 04)

क्या आपने कभी सोचा है?

● हमारे कामों के लिए कौन ज़िम्मेदार है?—याकूब 1:14.

● क्या बुराई का रास्ता छोड़ना मुमकिन है? —यशायाह 1:16, 17.

● क्या बुराई कभी खत्म होगी?—भजन 37:9, 10; नीतिवचन 2:20-22.

[पेज 31 पर तसवीरें]

एक इंसान खुद चुन सकता है कि वह अच्छा बनेगा या बुरा