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धन्यवाद कहना मत भूलिए!

धन्यवाद कहना मत भूलिए!

धन्यवाद कहना मत भूलिए!

क्या आपको याद है, पिछली बार कब किसी ने धन्यवाद कहने के लिए आपको नोट लिखकर भेजा था? आपने पिछली बार कब किसी को धन्यवाद का नोट भेजा था?

ई-मेल के इस युग में लिखकर धन्यवाद कहना तो जैसे बाबा आदम के ज़माने की बात हो गयी है। लेकिन लिखकर “धन्यवाद” कहना दूसरों को यह बताने का खास तरीका है कि उन्होंने आपके लिए जो किया है, उसकी आप कदर करते हैं। नीचे कुछ सुझाव दिए गए हैं कि आप यह कैसे कर सकते हैं।

1. टाइप करने के बजाय खुद अपने हाथ से लिखिए, इससे अपनेपन का एहसास मिलता है।

2. आप जिसे धन्यवाद कहना चाहते हैं, उसका नाम लिखिए।

3. अगर आपको कोई तोहफा मिला है, तो उसका ज़िक्र कीजिए और बताइए कि तोहफे में मिली चीज़ का आप कैसे इस्तेमाल करने की सोच रहे हैं।

4. आखिर में दोबारा धन्यवाद कहिए।

इस तरह लिखकर धन्यवाद कहने से दूसरे व्यक्‍ति को अच्छा लगेगा।

अगली बार जब कोई आपको मेहमान-नवाज़ी दिखाता है, तोहफा देता है या आपकी मदद करता है, तो नोट लिखकर बताइए कि उसने आपके लिए जो किया है आप उसकी कदर करते हैं। जी हाँ, धन्यवाद कहना मत भूलिए! (g12-E 07)

[पेज २९ पर बक्स/तसवीरें]

प्यारी आंटी मैरी, #2

आपने जो अलार्म घड़ी दी, उसके लिए बहुत-बहुत शुक्रिया! आप तो जानती ही हैं कि सुबह समय पर उठने में मुझे कितनी दिक्कत होती है, इसलिए आपकी दी घड़ी मेरे बहुत काम आ रही है। पिछले हफ्ते आपसे मिलकर बहुत खुशी हुई। उम्मीद है, आप अच्छे-से घर पहुँच गयी होंगी। हम सब आपसे दोबारा मिलने का इंतज़ार कर रहे हैं।

आपके तोहफे के लिए एक बार फिर शुक्रिया!

आपका भतीजा,

जॉन

[तसवीर]

#1

[पेज 29 पर बक्स]

सुझाव

● अगर किसी ने तोहफे में आपको पैसे दिए हैं, तो उसके बारे में सीधे-सीधे मत लिखिए। जैसे, यह कहने के बजाय कि आपको कितने पैसे मिले, आप कह सकते हैं: “आपके तोहफे के लिए शुक्रिया। मैं उससे . . . करने की सोच रहा हूँ।”

● सिर्फ वे बातें लिखिए जो तोहफे से जुड़ी हैं और उसके लिए कदरदानी ज़ाहिर कीजिए। इस समय आपको यह सब बताने की ज़रूरत नहीं कि आप छुट्टियों के लिए कहाँ गए थे या हाल में बीमार पड़ गए थे और आपको अस्पताल के चक्कर लगाने पड़े।

● तोहफे को लेकर अगर आपको कोई शिकायत है, तो उसका ज़िक्र मत कीजिए। जैसे, यह लिखना सही नहीं होगा, “आपने जो शर्ट दी उसके लिए बहुत-बहुत शुक्रिया, लेकिन वह मेरे लिए बहुत बड़ी है।”

[पेज 29 पर बक्स]

बाइबल हमें बढ़ावा देती है कि हम एहसानमंदी की भावना दिखाएँ। (लूका 17:11-19) यह हमसे कहती है कि हम परमेश्‍वर से “लगातार प्रार्थना करते” रहें और “हर बात के लिए धन्यवाद देते” रहें।—1 थिस्सलुनीकियों 5:17, 18.