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क्या आप फिरदौस की आशा पर यकीन रख सकते हैं?

क्या आप फिरदौस की आशा पर यकीन रख सकते हैं?

क्या आप फिरदौस की आशा पर यकीन रख सकते हैं?

“मैं मसीह में एक ऐसे मनुष्य को जानता हूं जो . . . फिरदौस में उठा लिया गया।”2 कुरिन्थियों 12:2-4, NHT, फुटनोट।

1. बाइबल में दिए कौन-से वादे कई लोगों का दिल छू जाते हैं?

 फिरदौस। क्या आपको याद है जब आपने पहली बार सुना कि परमेश्‍वर ने धरती को एक फिरदौस में बदलने का वादा किया है, तो आपको कैसा लगा? शायद आपको वह समय याद हो जब आपने जाना कि ‘अन्धों की आंखें खोली जाएंगी, बहिरों के कान खोले जाएंगे और जंगल में सोते फूट निकलेंगे’ और जंगल एक खूबसूरत, फलदायी इलाके में तबदील होकर मगन होंगे। या उस भविष्यवाणी के बारे में जानकर आपने कैसा महसूस किया जो कहती है कि भेड़िया, मेम्ने के संग और बकरी का छोटा बच्चा, चीते के संग रहा करेगा? और क्या यह पढ़कर आपका रोम-रोम हर्षित नहीं हुआ कि आपके जो अज़ीज़ मर चुके हैं, वे दोबारा ज़िंदा किए जाएँगे और उन्हें फिरदौस में हमेशा जीने की आशा मिलेगी?—यशायाह 11:6; 35:5, 6; यूहन्‍ना 5:28, 29.

2, 3. (क) यह क्यों कहा जा सकता है कि बाइबल से मिली आपकी आशा बेबुनियाद नहीं है? (ख) फिरदौस की आशा पर यकीन रखने के लिए हमारे पास और क्या सबूत है?

2 फिरदौस के बारे में आपकी आशा बेबुनियाद नहीं है। इस बारे में बाइबल में दिए वादों पर यकीन करने के ठोस कारण मौजूद हैं। उदाहरण के लिए, आपको यीशु के इन शब्दों पर यकीन है जो उसने सूली पर चढ़ाए गए अपराधी से कहे थे: “तू मेरे साथ फिरदौस में होगा।” (लूका 23:43, किताब-ए-मुकद्दस) आप इस वादे पर भरोसा रखते हैं: “उस की प्रतिज्ञा के अनुसार हम एक नए आकाश और नई पृथ्वी की आस देखते हैं जिन में धार्मिकता बास करेगी।” साथ ही, आप इस वादे को भी सच मानते हैं कि परमेश्‍वर हमारे आँसू पोंछ डालेगा; फिर मृत्यु न रहेगी; न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी। इन तमाम वादों का यही मतलब है कि एक बार फिर धरती पर फिरदौस कायम किया जाएगा!—2 पतरस 3:13; प्रकाशितवाक्य 21:4.

3 एक और सबूत है जो हमें विश्‍वास दिलाता है कि फिरदौस की आशा ज़रूर पूरी होगी। दुनिया भर में रहनेवाले मसीही आज इसका एक हिस्सा हैं। वह क्या है? वह है, आध्यात्मिक फिरदौस जिसका इंतज़ाम परमेश्‍वर ने किया है और इसमें अपने लोगों को रहने की जगह दी है। “आध्यात्मिक फिरदौस” शायद सुनने में किताबी शब्द लगें या समझने में मुश्‍किल हों, लेकिन इस फिरदौस की भविष्यवाणी बाइबल में की गयी है, और आज यह सचमुच वजूद में है।

फिरदौस का दर्शन

4. दूसरे कुरिन्थियों 12:2-4 में किस दर्शन का ज़िक्र है, और यह शायद किसे मिला था?

4 ध्यान दीजिए कि इस सिलसिले में प्रेरित पौलुस ने क्या लिखा: “मैं मसीह में एक ऐसे मनुष्य को जानता हूं जो . . . तीसरे स्वर्ग तक उठा लिया गया। और मैं जानता हूं कि इस प्रकार यही मनुष्य देह-सहित या देह-रहित मुझे नहीं मालूम, परमेश्‍वर जानता है फिरदौस में उठा लिया गया, और उसने ऐसी बातें सुनीं जो वर्णन से बाहर हैं, और जिन्हें मनुष्य को बोलने की अनुमति नहीं।” (तिरछे टाइप हमारे; 2 कुरिन्थियों 12:2-4, NHT, फुटनोट) पौलुस ने प्रेरित होने के अपने अधिकार को साबित करने के तुरंत बाद, फिरदौस के इस दर्शन का ब्यौरा दिया। इसके अलावा, बाइबल में किसी और व्यक्‍ति के तीसरे स्वर्ग में उठाए जाने का ज़िक्र नहीं है और सिर्फ पौलुस ही इस घटना का ज़िक्र करता है। इन सारी बातों को ध्यान में रखते हुए यह कहना वाजिब होगा कि यह दर्शन पौलुस को ही मिला था। यहोवा से मिले इस दर्शन में पौलुस जिस “फिरदौस” में गया, वह क्या था?—2 कुरिन्थियों 11:5, 23-31.

5. पौलुस ने जो “फिरदौस” देखा वह क्या नहीं हो सकता, इसलिए उसका क्या मतलब है?

5 खगोल-भौतिकविज्ञानियों ने अटकलें लगायी हैं कि ऊपर दी गयी आयत में बताए ‘तीसरे स्वर्ग’ का मतलब हमारी पृथ्वी के चारों तरफ का वायुमंडल या अंतरिक्ष है, या हमारे विश्‍वमंडल के जैसा कोई और विश्‍वमंडल है। लेकिन उस आयत के आस-पास की आयतों को पढ़ने पर ऐसा नहीं लगता कि फिरदौस का वह मतलब है। बाइबल में अकसर संख्या तीन को किसी बात पर ज़ोर देने, उसकी अहमियत समझाने या उसे दमदार बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। (सभोपदेशक 4:12; यशायाह 6:3; मत्ती 26:34, 75; प्रकाशितवाक्य 4:8) यह दिखाता है कि पौलुस ने दर्शन में जिस फिरदौस को देखा, वह बेहद खास और श्रेष्ठ है। वह एक आध्यात्मिक फिरदौस है।

6. इतिहास में हुई कौन-सी घटना, पौलुस के दर्शन को समझने में हमारी मदद करती है?

6 इस बारे में गहरी समझ पाने में बाइबल की वे भविष्यवाणियाँ हमारी मदद करती हैं जो पौलुस के ज़माने से बहुत पहले लिखी गयी थीं। जब परमेश्‍वर की चुनी हुई प्रजा यानी इस्राएलियों ने उसके साथ विश्‍वासघात किया, तो उसने ठान लिया कि वह यहूदा और यरूशलेम को बाबुलियों के हाथ कर देगा। नतीजा यह था कि बाबुलियों ने देश को तहस-नहस कर दिया। बाइबल में दिए घटना-क्रम के मुताबिक यह नाश सा.यु.पू. 607 में हुआ। भविष्यवाणी में बताया गया था कि यह देश 70 साल तक उजाड़ पड़ा रहेगा और उसके बाद यहोवा, पश्‍चातापी यहूदियों को अपने वतन लौटकर सच्ची उपासना बहाल करने की इजाज़त देगा। बहाली की यह भविष्यवाणी सा.यु.पू. 537 से पूरी होने लगी। (व्यवस्थाविवरण 28:15, 62-68; 2 राजा 21:10-15; 24:12-16; 25:1-4; यिर्मयाह 29:10-14) मगर इस बीच देश की क्या हालत हुई? उन 70 सालों के दौरान यह एक वीराना बन गया जहाँ गीदड़ रहने लगे और जंगली पेड़-पौधे उग आए। (यिर्मयाह 4:26; 10:22) फिर भी इसके बारे में यह वादा किया गया था: “यहोवा ने सिय्योन को शान्ति दी है, उस ने उसके सब खण्डहरों को शान्ति दी है; वह उसके जंगल को अदन के समान और उसके निर्जल देश को यहोवा की बाटिका [या फिरदौस, सेप्टुआजेंट] के समान बनाएगा।”—यशायाह 51:3.

7. सत्तर साल की उजाड़ हालत के बाद क्या होना था?

7 यह बदलाव 70 साल बाद आया। परमेश्‍वर की आशीष से यरूशलेम के हालात फिर से अच्छे होने लगे। ज़रा मन की आँखों से यह नज़ारा देखिए: “जंगल और निर्जल देश प्रफुल्लित होंगे, मरुभूमि मगन होकर केसर की नाईं फूलेगी; वह अत्यन्त प्रफुल्लित होगी और आनन्द के साथ जयजयकार करेगी। . . . लंगड़ा हरिण की सी चौकड़िया भरेगा और गूंगे अपनी जीभ से जयजयकार करेंगे। क्योंकि जंगल में जल के सोते फूट निकलेंगे और मरुभूमि में नदियां बहने लगेंगी; मृगतृष्णा ताल बन जाएगी और सूखी भूमि में सोते फूटेंगे; और जिस स्थान में सियार बैठा करते हैं उस में घास और नरकट और सरकण्डे होंगे।”—यशायाह 35:1-7.

बहाल किए गए और बदले हुए लोग

8. हम कैसे जानते हैं कि यशायाह का 35वाँ अध्याय खास तौर से लोगों पर लागू हुआ?

8 क्या ही हैरतअँगेज़ बदलाव! उजड़ा हुआ देश एक फिरदौस बन गया। लेकिन इस भविष्यवाणी में और दूसरी भरोसेमंद भविष्यवाणियों में दिखाया गया कि जिस तरह एक उजड़ा हुआ देश फलने-फूलने लगेगा, उसी तरह लोगों में भी अच्छे बदलाव होंगे। यह हम कैसे कह सकते हैं? यशायाह ने कहा कि “यहोवा के छुड़ाए हुए लोग” “जयजयकार करते हुए” अपने देश लौटेंगे और “हर्ष और आनन्द” मनाएँगे। (यशायाह 35:10) यह भविष्यवाणी उस देश की ज़मीन पर नहीं बल्कि उसमें रहनेवाले लोगों पर लागू हुई। दूसरे अध्यायों में यशायाह ने सिय्योन में बहाल किए जानेवालों के बारे में यह भविष्यवाणी की: ‘वे धर्म के बांजवृक्ष और यहोवा के लगाए हुए कहलाएंगे क्योंकि जैसे भूमि अपनी उपज को उगाती है, वैसे ही प्रभु यहोवा सब जातियों के साम्हने धार्मिकता और धन्यवाद को बढ़ाएगा।’ यशायाह ने परमेश्‍वर के लोगों के बारे में यह भी कहा: “यहोवा तुझे लगातार लिए चलेगा, . . . और तेरी हड्डियों को हरी भरी करेगा; और तू सींची हुई बारी . . . के समान होगा।” (यशायाह 58:11; 61:3, 11; यिर्मयाह 31:10-12) तो जिस तरह ज़मीन की हालत बेहतर बन जाती, उसी तरह बहाल किए गए यहूदियों में भी बदलाव होते।

9. पौलुस ने दर्शन में किस तरह का “फिरदौस” देखा, और इस दर्शन की भविष्यवाणी कब पूरी हुई?

9 इतिहास में हुई यह घटना, पौलुस के दर्शन में दिखायी बात को समझने में हमारी मदद करती है। पौलुस ने जो देखा वह मसीही कलीसिया से ताल्लुक रखता है, जिसे उसने “परमेश्‍वर की खेती” कहा और जिसे फलदायी होना था। (1 कुरिन्थियों 3:9) दर्शन की यह भविष्यवाणी कब पूरी होनेवाली थी? पौलुस ने दर्शन को ‘प्रकाशन’ भी कहा, यानी ऐसी बात जो भविष्य में घटती। वह जानता था कि उसकी मौत के बाद बड़े पैमाने पर धर्मत्याग फैलेगा। (2 कुरिन्थियों 12:1, NHT; प्रेरितों 20:29, 30; 2 थिस्सलुनीकियों 2:3, 7) धर्मत्यागी इस कदर फलने-फूलने लगेंगे कि सच्चे मसीही नज़र ही नहीं आएँगे। ऐसे में मसीही एक लहलहाते बाग या फिरदौस की तरह नहीं होंगे। लेकिन वह समय भी आएगा जब सच्ची उपासना दोबारा ऊँची की जाएगी। परमेश्‍वर के लोगों को बहाल किया जाएगा ताकि ‘धर्मी अपने पिता के राज्य में सूर्य की नाईं चमक सकें।’ (मत्ती 13:24-30, 36-43) ठीक जैसे कहा गया था, स्वर्ग में परमेश्‍वर के राज्य के स्थापित होने के कुछ साल बाद, सच्ची उपासना बहाल की गयी। इसके बाद जैसे-जैसे साल गुज़रते गए, यह साफ हो गया कि परमेश्‍वर के लोग उस आध्यात्मिक फिरदौस का आनंद ले रहे हैं, जिसे पौलुस ने दर्शन में देखा था।

10, 11. हम कैसे कह सकते हैं कि हम असिद्ध होने के बावजूद एक आध्यात्मिक फिरदौस में जी रहे हैं?

10 यह सच है कि हम सभी असिद्ध हैं, इसलिए यह देखकर ताज्जुब नहीं होता कि हमारे बीच कभी-कभी खटपट हो जाती है, जैसे पौलुस के दिनों में भी मसीहियों के बीच हुआ करती थी। (1 कुरिन्थियों 1:10-13; फिलिप्पियों 4:2, 3; 2 थिस्सलुनीकियों 3:6-14) फिर भी, सोचिए कि आज हम कितने बढ़िया आध्यात्मिक फिरदौस का आनंद ले रहे हैं। एक वक्‍त था जब हम आध्यात्मिक तौर पर बीमार थे, मगर अब हमें चंगा किया गया है। हम आध्यात्मिक रूप से भूखे थे, मगर अब हमें भरपूर आध्यात्मिक भोजन मिल रहा है। आध्यात्मिक मायने में परमेश्‍वर के लोग किसी सूखे प्रदेश में पानी के लिए तरस नहीं रहे हैं, बल्कि उन पर यहोवा का अनुग्रह है और उसकी आशीषों की बौछार हो रही है। (यशायाह 35:1, 7) अब हम कालकोठरी जैसे आध्यात्मिक अंधकार में बंद नहीं पड़े हैं, बल्कि परमेश्‍वर का अनुग्रह पाने की वजह से आध्यात्मिक मायने में हमारी आँखें खुल गयी हैं और हम आज़ाद हैं। हममें से कई लोगों ने पहले कभी बाइबल की भविष्यवाणियाँ नहीं सुनी थीं, और इस मामले में हम एक तरह से बहरे थे। मगर अब हम बाइबल की बातों को पूरी समझ के साथ सुन पा रहे हैं। (यशायाह 35:5) मसलन, दुनिया भर में रहनेवाले लाखों यहोवा के साक्षियों ने दानिय्येल की भविष्यवाणी का आयत-दर-आयत अध्ययन किया। इसके बाद, उन्होंने यशायाह की किताब के एक-एक अध्याय का भी गहराई से अध्ययन किया। हमें तरो-ताज़ा करनेवाला यह आध्यात्मिक भोजन क्या यह साबित नहीं करता कि हम एक आध्यात्मिक फिरदौस में जी रहे हैं?

11 इसके अलावा, यह भी सोचिए कि हर जाति, भाषा और संस्कृति से आए नेकदिल लोगों ने परमेश्‍वर के वचन को समझने और उस पर अमल करने की वजह से अपने स्वभाव में कैसे बदलाव किए हैं। मोटे तौर पर कहा जाए तो उनमें पहले जानवरों जैसे गुण थे, मगर उन्होंने कड़ा संघर्ष करके उन गुणों को मानो निकाल फेंका। शायद आपने भी ऐसा करके बढ़िया नतीजे पाए हों, और आपके आध्यात्मिक भाई-बहनों ने भी ऐसा ही किया है। (कुलुस्सियों 3:8-14) इसलिए यहोवा के साक्षियों की कलीसिया में आप ऐसे लोगों से संगति कर पाते हैं जिन्होंने दूसरों के साथ प्यार से रहना और शांति कायम रखना सीखा है। यह सच है कि वे अब तक सिद्ध नहीं बने हैं, मगर यह बात पक्की है कि वे अब खूँखार सिंह या दूसरे दरिंदों जैसे नहीं रहे। (यशायाह 35:9) आध्यात्मिक भाई-बहनों के बीच यह शांति क्या दिखाती है? बेशक यही कि हम एक बढ़िया आध्यात्मिक माहौल का आनंद ले रहे हैं जिसे हम आध्यात्मिक फिरदौस कहते हैं। यह आनेवाले उस फिरदौस की एक झलक है जो धरती पर कायम किया जाएगा। अगर हम आखिर तक यहोवा के वफादार रहेंगे, तो हमें भी उस फिरदौस में जीने का मौका मिलेगा।

12, 13. आध्यात्मिक फिरदौस में बने रहने के लिए हमें क्या करने की ज़रूरत है?

12 लेकिन एक बात है जिसे हमें नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए। परमेश्‍वर ने इस्राएलियों से कहा था: “जितनी आज्ञाएं मैं आज तुम्हें सुनाता हूं उन सभों को माना करना, इसलिये कि तुम सामर्थी होकर उस देश में . . . प्रवेश करके उसके अधिकारी हो जाओ।” (व्यवस्थाविवरण 11:8) लैव्यव्यवस्था 20:22, 24 में भी उसी देश का ज़िक्र है: “तुम मेरी सब विधियों और मेरे सब नियमों को समझ के साथ मानना; जिससे यह न हो कि जिस देश में मैं तुम्हें लिये जा रहा हूं वह तुम को उगल देवे। और मैं तुम लोगों से कहता हूं, कि तुम तो उनकी भूमि के अधिकारी होगे, और मैं इस देश को जिस में दूध और मधु की धाराएं बहती हैं तुम्हारे अधिकार में कर दूंगा।” जी हाँ, इस्राएलियों को वादा किए गए देश में बने रहने के लिए ज़रूरी था कि वे यहोवा परमेश्‍वर के साथ एक अच्छा रिश्‍ता बनाए रखें। जब उन्होंने परमेश्‍वर की आज्ञाओं को तोड़ दिया, तभी परमेश्‍वर ने उनको बाबुलियों के हवाले कर दिया। बाबुलियों ने उन पर फतह हासिल की और उन्हें अपने देश से निकाल दिया।

13 आध्यात्मिक फिरदौस की ऐसी कई बातें हैं जो हमें भा जाती हैं। इसका माहौल दिखने में बड़ा प्यारा है और दिल को सुकून पहुँचाता है। हम मसीही भाई-बहनों के साथ शांति से रह पाते हैं, जिन्होंने जानवरों जैसे गुण अपने अंदर से निकाल फेंकने में काफी मेहनत की है। वे दयालु और मददगार बनने की कोशिश कर रहे हैं। मगर इस आध्यात्मिक फिरदौस में हमेशा बने रहने के लिए सिर्फ अपने भाई-बहनों के साथ अच्छा रिश्‍ता कायम रखना काफी नहीं है। हमें यहोवा परमेश्‍वर के साथ भी एक अच्छा रिश्‍ता बनाए रखना और उसकी मरज़ी पूरी करनी होगी। (मीका 6:8) हम अपनी खुशी से इस फिरदौस का हिस्सा बने हैं, लेकिन अगर हम परमेश्‍वर के साथ अपने रिश्‍ते को बरकरार रखने के लिए मेहनत नहीं करेंगे तो हम इस फिरदौस से बहक सकते हैं या फिर हमें बेदखल किया जा सकता है।

14. आध्यात्मिक फिरदौस में बने रहने में क्या बात हमारी मदद करेगी?

14 आध्यात्मिक फिरदौस में बने रहने में मदद देनेवाली एक खास बात है, परमेश्‍वर के वचन का अध्ययन करके लगातार खुद को मज़बूत करना। ध्यान दीजिए कि भजन 1:1-3 में लाक्षणिक भाषा में क्या कहा गया है: “क्या ही धन्य है वह पुरुष जो दुष्टों की युक्‍ति पर नहीं चलता . . . परन्तु वह तो यहोवा की व्यवस्था से प्रसन्‍न रहता; और उसकी व्यवस्था पर रात दिन ध्यान करता रहता है। वह उस वृक्ष के समान है, जो बहती नालियों के किनारे लगाया गया है। और अपनी ऋतु में फलता है, और जिसके पत्ते कभी मुरझाते नहीं। इसलिये जो कुछ वह पुरुष करे वह सफल होता है।” इसके अलावा, आध्यात्मिक फिरदौस में विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास के तैयार किए बाइबल साहित्य से भी हमें आध्यात्मिक खुराक मिलती है।—मत्ती 24:45-47.

फिरदौस के बारे में अपना विश्‍वास मज़बूत करना

15. मूसा इस्राएलियों को वादा किए गए देश में क्यों नहीं ले जा सका, मगर उसे क्या देखने का मौका मिला?

15 अब फिरदौस की एक और झलक देखिए। इस्राएल जाति के 40 साल तक वीराने में भटकने के बाद, मूसा उन्हें मोआब के मैदानी इलाकों में ले गया, जो यरदन नदी के पूर्व में थे। मूसा की एक गलती की वजह से यहोवा ने फैसला सुनाया कि इस्राएलियों को यरदन पार ले जाने में अब वह उनकी अगुवाई नहीं करेगा। (गिनती 20:7-12; 27:12, 13) तब मूसा ने परमेश्‍वर से यह मिन्‍नत की: ‘कृपाकर मुझे उस पार जाने दे, यरदन नदी के उस पार के उत्तम देश के दर्शन कर लेने दे।’ (नयी हिन्दी बाइबिल) हालाँकि मूसा को उस देश में कदम रखने की इजाज़त नहीं मिली, फिर भी जब उसने पिसगा पहाड़ पर चढ़कर उस देश के अलग-अलग हिस्सों को देखा तो वह समझ गया होगा कि वह सचमुच एक “उत्तम देश” है। आपकी राय में वह देश कैसा था?—व्यवस्थाविवरण 3:25-27.

16, 17. (क) हाल के समय के मुकाबले पुराने ज़माने में वादा किया गया देश कैसा था? (ख) हम क्यों यकीन कर सकते हैं कि वादा किया गया देश एक ज़माने में फिरदौस जैसा था?

16 आज अगर आप उस देश के ज़्यादातर इलाकों की हालत देखेंगे, तो शायद आप सोचें कि वादा किया गया देश एक सूखा देश था, जहाँ दूर-दूर तक रेत, चट्टानों से घिरे रेगिस्तान और चिलचिलाती धूप के सिवा कुछ नहीं था। लेकिन यह मानने के वाजिब कारण हैं कि बाइबल के ज़माने में यह इलाका बिलकुल अलग था। साइंटिफिक अमेरिकन नाम की पत्रिका में पानी और मिट्टी के विशेषज्ञ, डॉ. वॉल्टर सी. लॉडरमिल्क ने बताया कि उस प्रांत को “हज़ारों सालों से काफी नुकसान पहुँचाया गया है, इसलिए उसका रूप ही बिगड़ गया है।” उन्होंने लिखा: “यह इंसान का किया धरा है कि एक ज़माने का फलता-फूलता देश अब ‘रेगिस्तान’ बन गया है, इसमें प्रकृति का कोई दोष नहीं।” उस विशेषज्ञ के अध्ययन से यह भी ज़ाहिर हुआ कि “वह देश पहले एक हरा-भरा फिरदौस था।” इससे साफ पता चलता है कि इंसानों ने ही उस ‘हरे-भरे फिरदौस’ को तबाह कर दिया। *

17 आपने वादा किए गए देश के बारे में बाइबल में जो पढ़ा है, उस पर गहराई से सोचने से आप इस नतीजे पर पहुँचेंगे कि वह सचमुच फिरदौस जैसा था। याद कीजिए कि यहोवा ने मूसा के ज़रिए लोगों को क्या यकीन दिलाया: “जिस देश के अधिकारी होने को तुम पार जाने पर हो वह पहाड़ों और तराइयों का देश है, और आकाश की वर्षा के जल से सिंचता है; वह ऐसा देश है जिसकी तेरे परमेश्‍वर यहोवा को सुधि रहती है।”—व्यवस्थाविवरण 11:8-12.

18. यशायाह 35:2 से बंधुआई में पड़े इस्राएलियों के मन में वादा किए गए देश के बारे में कैसी तसवीर उभर आयी होगी?

18 वादा किए गए देश की सुंदरता इतनी लाजवाब थी, साथ ही वह इतना उपजाऊ था कि यहाँ की कुछ जगहों का नाम सुनते ही लोगों को फिरदौस जैसे माहौल का खयाल आता। यह बात यशायाह के अध्याय 35 की भविष्यवाणी से साफ पता चलती है, जो पहली बार तब पूरी हुई जब इस्राएली बाबुल से लौटे। यशायाह ने उस जगह के बारे में यह भविष्यवाणी की: “वह अत्यन्त प्रफुल्लित होगी और आनन्द के साथ जयजयकार करेगी। उसकी शोभा लबानोन की सी होगी और वह कर्मेल और शारोन के तुल्य तेजोमय हो जाएगी। वे यहोवा की शोभा और हमारे परमेश्‍वर का तेज देखेंगे।” (यशायाह 35:2) लबानोन, कर्मेल और शारोन का नाम सुनने पर इस्राएलियों के मन में एक दिलकश नज़ारा उभर आया होगा।

19, 20. (क) समझाइए कि पुराने ज़माने में शारोन कैसा था। (ख) फिरदौस की आशा को मज़बूत करने का एक तरीका क्या है?

19 मसलन शारोन के मैदानों को लीजिए, जिनकी एक ओर सामरिया की पहाड़ियाँ थीं और दूसरी ओर भूमध्य सागर था। (पेज 10 की तसवीर देखिए।) यह बेहद खूबसूरत और अनूठी जगह थी और अपने उपजाऊपन के लिए बहुत मशहूर थी। यहाँ पानी की कोई कमी नहीं थी इसलिए यह चराई के लिए एकदम बढ़िया जगह थी। पर साथ ही यहाँ के उत्तरी प्रांतों में बाँज वृक्षों के घने जंगल हुआ करते थे। (1 इतिहास 27:29; श्रेष्ठगीत 2:1; यशायाह 65:10) इसलिए यशायाह 35:2 की भविष्यवाणी में शारोन का ज़िक्र करके देश की बहाली के बारे में बताया गया कि उसे ऐसी रौनक मिलेगी जिससे वह एक फिरदौस जैसा दिखेगा। इस भविष्यवाणी ने एक खूबसूरत आध्यात्मिक फिरदौस की तरफ भी इशारा किया, जिसे बाद में पौलुस ने दर्शन में देखा था। साथ ही, यह भविष्यवाणी और दूसरी भविष्यवाणियाँ हमारी इस आशा को मज़बूत करती हैं कि इंसानों के लिए धरती पर एक सचमुच का फिरदौस कायम किया जाएगा।

20 आज जब हम आध्यात्मिक फिरदौस में जी रहे हैं, तो हम इसके लिए अपनी कदरदानी बढ़ा सकते हैं और भविष्य में आनेवाले सचमुच के फिरदौस की आशा मज़बूत कर सकते हैं। कैसे? बाइबल में पढ़नेवाली बातों के बारे में अपनी समझ बढ़ाने के ज़रिए। बाइबल के वृत्तांतों और भविष्यवाणियों में कई जगहों का ज़िक्र किया गया है। क्या आप अच्छी तरह जानना चाहेंगे कि ये जगहें कहाँ थीं और दूसरे इलाकों के साथ उनका क्या नाता था? अगले लेख में हम देखेंगे कि आप उनके बारे में कैसे जानकारी हासिल करके फायदा पा सकते हैं।

[फुटनोट]

^ बाइबल का भूगोल (अँग्रेज़ी) किताब में डेनिस बाली नाम का लेखक कहता है: “बाइबल के ज़माने में उस देश की जो हरियाली थी, वह समय के गुज़रते काफी बदल गयी।” वजह क्या थी? “इंसान को चूल्हा जलाने और घर बनाने के लिए लकड़ी की ज़रूरत पड़ी और इसलिए . . . उसने पेड़ों को काटना शुरू किया और इस तरह देश पर मौसम का बुरा असर पड़ने लगा। वातावरण में इंसान की दखलअंदाज़ी का नतीजा यह था कि मौसम बिगड़ने लगा और यह खराब मौसम ही . . . धीरे-धीरे देश की बरबादी की सबसे बड़ी वजह बन गया।”

क्या आपको याद है?

• प्रेरित पौलुस ने दर्शन में कौन-सा “फिरदौस” देखा?

यशायाह के 35वें अध्याय की भविष्यवाणी पहली बार कब और कैसे पूरी हुई, और इसका पौलुस के दर्शन से क्या ताल्लुक है?

• हम आध्यात्मिक फिरदौस के लिए अपनी कदरदानी कैसे बढ़ा सकते हैं और धरती पर आनेवाले फिरदौस की आशा कैसे मज़बूत कर सकते हैं?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 10 पर तसवीर]

शारोन का मैदान, जो वादा किए गए देश का एक उपजाऊ इलाका था

[चित्र का श्रेय]

Pictorial Archive (Near Eastern History) Est.

[पेज 12 पर तसवीर]

मूसा ने जाना कि वह एक “उत्तम देश” था