क्या आपको याद है?
क्या आपको याद है?
क्या आपने हाल की प्रहरीदुर्ग पत्रिकाएँ पढ़ने का आनंद लिया है? देखिए कि क्या आप नीचे दिए गए सवालों के जवाब दे पाते हैं या नहीं:
• यीशु ने पानी में डूबते पतरस को बचा लिया, इस वाकये से हम क्या सीखते हैं? (मत्ती 14:28-31)
अगर कोई मसीही भाई विश्वास की कमी दिखाता है, तो हम उसकी तरफ मदद का हाथ बढ़ा सकते हैं, ताकि वह विश्वास में मज़बूत बने।—9/15, पेज 8.
• हमारे छुटकारे के लिए यहोवा को क्या कीमत चुकानी पड़ी?
जब यहोवा के बेटे को तड़पाया गया और उसकी खिल्ली उड़ायी गयी, तो यहोवा चुपचाप सहता रहा। और जिस तरह अब्राहम अपने बेटे की बलि चढ़ाने के लिए तैयार हो गया था, यह वाकया दिखाता है कि जब यहोवा के बेटे को एक मुजरिम की तरह सूली पर चढ़ाया गया, तो उसके दिल पर क्या बीती होगी।—9/15, पेज 28-29.
• नीतिवचन 24:27 से हम ‘घर बनाने’ के बारे में क्या सीखते हैं?
जो आदमी शादी करना चाहता है, उसे शादी के बाद आनेवाली ज़िम्मेदारियों की पहले से तैयारी करनी चाहिए। इन ज़िम्मेदारियों में परिवार के लिए रोज़ी रोटी कमाना और परमेश्वर और बाइबल के बारे में सिखाना शामिल है।—10/15, पेज 12.
• यहोवा और यीशु कैसे अच्छे व्यवहार की उम्दा मिसालें हैं?
इस जहान का मालिक होने के बावजूद यहोवा इंसानों पर कृपा करता है और उन्हें इज़्ज़त देता है। अब्राहम और मूसा से बात करते वक्त, यहोवा ने मूल इब्रानी में एक ऐसे शब्द का इस्तेमाल किया, जिससे उसकी आज्ञा उन्हें आज्ञा नहीं बल्कि विनम्र गुज़ारिश लगी। (उत्प. 13:14; निर्ग. 4:6) परमेश्वर इंसानों की भी सुनता है। (उत्प. 18:23-32) यीशु भी अपने पिता जैसा था। वह लोगों की मदद करने के लिए हरदम तैयार रहता था। वह अकसर उनका नाम लेकर उनसे बात करता था।—11/15, पेज 25.