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वह रास्ता मत लीजिए जो आपको यहोवा से दूर ले जाएगा

वह रास्ता मत लीजिए जो आपको यहोवा से दूर ले जाएगा

“आज चुन लो कि तुम किस की सेवा करोगे।”—यहो. 24:15.

1-3. (क) यह क्यों कहा जा सकता है कि यहोशू ने ज़िंदगी में बिलकुल सही चुनाव किया? (ख) जब हमें कोई फैसला करना होता है, तो हमें क्या बात ध्यान में रखनी चाहिए?

 कल्पना कीजिए कि एक आदमी सड़क पर जा रहा है। चलते-चलते अचानक वह एक दोराहे पर पहुँचता है। अब उसे चुनना है कि वह कौन-सा रास्ता लेगा। अगर उसने मन में ठान लिया है कि उसे कहाँ जाना है, उसकी मंज़िल क्या है, तो वह वही रास्ता लेगा जो उसे मंज़िल तक पहुँचाएगा, न कि वह रास्ता जो मंज़िल से दूर ले जाएगा। जीवन की राह में भी कई बार हमारे सामने ऐसे मोड़ आते हैं जब हमें फैसला करना होता है कि हम कौन-सा रास्ता चुनेंगे। हर इंसान के पास मनचाहा फैसला करने की आज़ादी है और यह काफी हद तक उसके हाथ में होता है कि वह अपनी ज़िंदगी को किस रुख में ले जाना चाहेगा।

2 बाइबल में हम ऐसे कई लोगों के बारे में पढ़ते हैं जिनकी ज़िंदगी में ऐसा वक्‍त आया जब उन्हें फैसला करना था कि वे क्या करेंगे। मिसाल के लिए, कैन को चुनाव करना था कि वह खुद पर संयम बरतेगा या फिर गुस्से से बेकाबू होकर पाप कर बैठेगा। (उत्प. 4:6, 7) यहोशू को चुनना था कि वह सच्चे परमेश्‍वर की सेवा करेगा या झूठे देवताओं की। (यहो. 24:15) यहोशू के मन में यह बात बिलकुल साफ थी कि वह हमेशा यहोवा के करीब बना रहेगा। इसलिए उसने सही चुनाव किया, उसने वह रास्ता चुना जो उसे यहोवा के करीब रहने में मदद देता। मगर कैन के मन में ऐसा मज़बूत इरादा नहीं था। इसलिए उसने वह रास्ता चुना जो उसे यहोवा से और भी दूर ले गया।

3 जब हमारी ज़िंदगी में फैसला करने की घड़ी आती है, तब हमें भी अपनी मंज़िल ध्यान में रखनी चाहिए। हमारी मंज़िल या हमारा लक्ष्य है, सिर्फ ऐसे काम करना जिनसे यहोवा की महिमा हो और ऐसा कोई काम न करना जो हमें उससे दूर ले जा सकता है। (इब्रानियों 3:12 पढ़िए।) इस लेख में और अगले लेख में हम ज़िंदगी के सात मामलों पर गौर करेंगे जहाँ हमें सावधान रहना है कि कोई भी बात हमें यहोवा से दूर न ले जाए।

नौकरी और करियर

4. नौकरी-पेशा क्यों अहमियत रखता है?

4 मसीहियों का फर्ज़ बनता है कि वे अपनी और अपने परिवार की ज़रूरतें पूरी करें। बाइबल इस बात की ओर इशारा करती है कि अगर एक मसीही अपने घर-परिवार की देखभाल नहीं करना चाहता तो वह एक अविश्‍वासी से भी बदतर है। (2 थिस्स. 3:10; 1 तीमु. 5:8) इससे साफ है कि नौकरी-पेशा हमारी ज़िंदगी में अहमियत रखता है। लेकिन अगर आप इस मामले में सावधान न रहें, तो नौकरी और करियर आपको यहोवा से दूर ले जा सकते हैं। वह कैसे?

5. नौकरी के बारे में फैसला लेते वक्‍त हमें किन-किन बातों पर सोचना चाहिए?

5 मान लीजिए आप एक नौकरी की तलाश में हैं। अगर आपके देश में नौकरी मिलना बहुत मुश्‍किल है, तो हो सकता है आपको जो भी नौकरी मिलती है, उसके लिए आप फौरन हाँ कहना चाहें। लेकिन अगर वह नौकरी बाइबल के उसूलों के खिलाफ है, तो आप क्या करेंगे? अगर आपको उस नौकरी में इतने ज़्यादा घंटे काम करने पड़ेंगे या इतना ज़्यादा सफर करना पड़ेगा कि आपको मसीही कामों के लिए या अपने परिवार के लिए बहुत कम वक्‍त मिलेगा, तो आप क्या फैसला लेंगे? यह सब जानते हुए भी क्या आपको वह नौकरी कबूल कर लेनी चाहिए, यह सोचकर कि बेरोज़गार बैठे रहने से तो अच्छा होगा कि मैं यही नौकरी कर लूँ? याद रखिए, अगर आपने गलत रास्ता चुना तो आप यहोवा से दूर जा सकते हैं। (इब्रा. 2:1) चाहे आप कोई नौकरी ढूँढ़ रहे हों या अपनी मौजूदा नौकरी बदलने की सोच रहे हों, आप सही फैसला कैसे ले सकते हैं?

6, 7. (क) नौकरी-पेशे के बारे में एक इंसान के क्या लक्ष्य हो सकते हैं? (ख) कौन-सा लक्ष्य आपको यहोवा के करीब ले जाएगा? और क्यों?

6 जैसे इस लेख के शुरू में बताया गया है, आपको सही फैसला लेने के लिए अपनी मंज़िल या लक्ष्य ध्यान में रखना चाहिए। खुद से पूछिए, ‘मैं एक नौकरी या करियर क्यों चाहता हूँ?’ अगर आप नौकरी के बारे में सही नज़रिया रखते हैं तो आपका लक्ष्य होगा, खुद की और अपने परिवार की देखभाल करना ताकि आप सब मिलकर यहोवा की सेवा कर पाएँ। तब यहोवा आपकी मेहनत पर आशीष देगा। (मत्ती 6:33) और अगर अचानक आपकी नौकरी छूट जाए या आपको आर्थिक मंदी का सामना करना पड़े, तो याद रखिए कि यहोवा ज़रूर आपकी मदद करेगा, उसका हाथ कभी छोटा नहीं पड़ता। (यशा. 59:1) वह “जानता है कि जो उसकी भक्‍ति करते हैं उन्हें परीक्षा से कैसे निकाले।”—2 पत. 2:9.

7 लेकिन अगर नौकरी करने के पीछे आपका लक्ष्य दौलत कमाना है, तो क्या हो सकता है? भले ही आप पैसा कमाने में कामयाब हो जाएँ लेकिन आपको इस कामयाबी की एक भारी कीमत भी चुकानी पड़ेगी। (1 तीमुथियुस 6:9, 10 पढ़िए।) दौलत और करियर को बहुत ज़्यादा अहमियत देना आपको यहोवा से दूर ही ले जाएगा।

8, 9. नौकरी-पेशे के बारे में माता-पिताओं को किन बातों पर गौर करना चाहिए? समझाइए।

8 अगर आप एक माँ या पिता हैं तो यह भी गौर कीजिए कि आप जो फैसला करते हैं उससे आपके बच्चे क्या सीखेंगे। वे आपमें क्या देखते हैं? आप अपनी ज़िंदगी में करियर को पहली जगह दे रहे हैं या यहोवा के साथ अपने रिश्‍ते को? अगर वे पाते हैं कि आप दौलत, शोहरत या ऊँचे रुतबे को पहली जगह दे रहे हैं, तो क्या वे भी आपकी देखा-देखी इस खतरनाक राह पर नहीं चल पड़ेंगे? क्या उनकी नज़रों में कुछ हद तक आपकी इज़्ज़त नहीं घट जाएगी? एक जवान बहन कहती है, “जब मैं बहुत छोटी थी, तब से मैंने देखा है कि पापा हमेशा काम में डूबे रहते हैं। शुरू में लगता था कि वे इतनी मेहनत इसलिए करते हैं ताकि हम एक आरामदायक ज़िंदगी बिता सकें। वे चाहते थे कि हमें कभी किसी चीज़ की कमी न हो। लेकिन बीते कुछ सालों से उनका नज़रिया कुछ बदल-सा गया है। वे दिन-रात काम ही करते रहते हैं और घर में ज़रूरत की चीज़ों से ज़्यादा ऐशो-आराम की चीज़ों का अंबार लगा देते हैं। इस वजह से हमारा परिवार दौलतमंद होने के लिए जाना जाता है, न कि ऐसा परिवार जिससे दूसरों को परमेश्‍वर की सेवा में लगे रहने का बढ़ावा मिले। मुझे ज़्यादा खुशी तब होगी जब पापा दौलत के लिए मेहनत करने के बजाय आध्यात्मिक कामों में मेहनत करेंगे ताकि हमें यहोवा के करीब बने रहने में मदद मिले।”

9 माता-पिताओ, आप अपने करियर को ज़्यादा तवज्ज्‌ह देकर यहोवा से दूर जाने की गलती मत कीजिए। अपने बच्चों के लिए अच्छी मिसाल रखिए ताकि वे देख सकें कि आप सच्चे दिल से मानते हैं कि यहोवा के साथ अच्छा रिश्‍ता ही दुनिया की सबसे बड़ी दौलत है, न कि रुपया-पैसा।—मत्ती 5:3.

10. करियर के बारे में चुनाव करते वक्‍त एक नौजवान किन बातों को ध्यान में रख सकता है?

10 अगर आप एक नौजवान हैं और अपने करियर के बारे में सोच रहे हैं तो आप सही रास्ता कैसे चुन सकते हैं? जैसे कि हमने पहले चर्चा की है, आपको यह ध्यान रखना चाहिए कि आपकी ज़िंदगी की मंज़िल क्या है। आप जो करियर चुनने की सोच रहे हैं उसमें जिस तरह की ट्रेनिंग दी जाएगी और उससे जो नौकरी मिलेगी क्या वह आपको राज के कामों में अच्छी तरह हिस्सा लेने में मदद करेगी या फिर आपको यहोवा से दूर ले जाएगी? (2 तीमु. 4:10) आपका लक्ष्य क्या है? क्या आप उन लोगों की तरह बनना चाहेंगे जिनकी खुशी उनके बैंक खाते के बढ़ने-घटने के हिसाब से बढ़ती-घटती है? या आप दाविद की तरह बनना चाहेंगे जिसे यहोवा पर पूरा भरोसा था? उसने लिखा, “मैं लड़कपन से लेकर बुढ़ापे तक देखता आया हूं; परन्तु न तो कभी धर्मी को त्यागा हुआ, और न उसके वंश को टुकड़े मांगते देखा है।” (भज. 37:25) याद रखिए, एक रास्ता आपको यहोवा से दूर ले जाएगा, जबकि दूसरा आपको सबसे बेहतरीन ज़िंदगी देगा। (नीतिवचन 10:22; मलाकी 3:10 पढ़िए।) आप कौन-सा रास्ता चुनेंगे? *

मनोरंजन

11. बाइबल मनोरंजन के बारे में क्या कहती है? हमें क्या बात ध्यान में रखनी चाहिए?

11 बाइबल मनोरंजन को गलत नहीं बताती, न ही यह कहती है कि मन-बहलाव करना वक्‍त की बरबादी है। पौलुस ने अपने खत में तीमुथियुस को लिखा, ‘शरीर की कसरत कुछ हद तक फायदेमंद होती है।’ (1 तीमु. 4:8) बाइबल यह भी कहती है कि ‘हंसने का’ और “नाचने का भी समय” होता है, साथ ही यह सुझाव देती है कि हमें आराम के लिए थोड़ा-बहुत समय निकालना चाहिए। (सभो. 3:4; 4:6) हालाँकि मनोरंजन फायदेमंद है लेकिन अगर आप इस मामले में सावधानी न बरतें, तो यह आपको यहोवा से दूर ले जा सकता है। इस खतरे से बचने के लिए आपको दो बातों का खास ध्यान रखना है। एक यह कि आप किस तरह का मनोरंजन पसंद करते हैं और दूसरा, आप उसमें कितना वक्‍त बिताते हैं।

मनोरंजन सही किस्म का हो और हद में रहकर किया जाए तो यह आपको तरो-ताज़ा कर सकता है

12. सही मनोरंजन चुनने के लिए आपको किन बातों पर गौर करना चाहिए?

12 सबसे पहले ध्यान दीजिए कि हमें किस तरह का मनोरंजन करना चाहिए। बेशक आज ऐसे कई तरह के मनोरंजन हैं जिन्हें अच्छा मनोरंजन कहा जा सकता है लेकिन आज का ज़्यादातर मनोरंजन ऐसी बातों को बढ़ावा देता है जिनसे परमेश्‍वर नफरत करता है, जैसे खून-खराबा, जादू-टोना और अनैतिक यौन-संबंध। इसलिए आपको ध्यान से जाँचना होगा कि आप कैसी बातों से मन-बहलाव करते हैं। क्या उन्हें अच्छा मनोरंजन कहा जा सकता है? उनका आप पर कैसा असर हो रहा है? क्या ये आपके अंदर मार-पीट करने या होड़ लगाने का रवैया पैदा करते हैं या देश-भक्‍ति की भावना पैदा करते हैं? (नीति. 3:31) क्या आपका मनोरंजन आपकी जेब पर भारी पड़ता है? क्या इससे दूसरों को ठोकर लग सकती है? (रोमि. 14:21) आपका मनोरंजन आपको किन लोगों के संपर्क में लाता है? (नीति. 13:20) क्या आपका मनोरंजन आपमें बुरे काम करने की इच्छा पैदा करता है?—याकू. 1:14, 15.

13, 14. यह ध्यान देना क्यों ज़रूरी है कि आप मनोरंजन में कितना वक्‍त बिताते हैं?

13 आपको यह भी ध्यान देना चाहिए कि आप मनोरंजन करने में कितना वक्‍त बिताते हैं। खुद से पूछिए, ‘क्या मैं मन-बहलाव करने में इतना ज़्यादा समय बिता देता हूँ कि आध्यात्मिक कामों के लिए मेरे पास बिलकुल वक्‍त नहीं बचता?’ अगर आप मनोरंजन में ढेर सारा वक्‍त बिताएँगे तो पाएँगे कि मनोरंजन आपको उतनी ताज़गी नहीं देता। सच तो यह है कि जो लोग एक हद में रहकर मनोरंजन करते हैं वे उन लोगों से ज़्यादा ताज़गी पाते हैं जो इसमें बहुत सारा वक्‍त ज़ाया करते हैं। क्यों? क्योंकि वे ‘ज़्यादा अहमियत रखनेवाले’ काम पहले पूरे कर लेते हैं और बचे हुए थोड़े-बहुत समय में मन-बहलाव करते हैं। इसलिए उनका ज़मीर उन्हें दोषी नहीं ठहराता।—फिलिप्पियों 1:10, 11 पढ़िए।

14 हालाँकि मन-बहलाव करने में ज़्यादा समय बिताना लुभावना लग सकता है मगर यह ऐसा रास्ता है जो आपको यहोवा से दूर ले जा सकता है। यह बात 20 साल की एक बहन, किम ने अपनी गलती से सीखी। वह कहती है, “मैं एक भी पार्टी नहीं छोड़ती थी। हर शुक्रवार, शनिवार और रविवार को कोई-न-कोई बड़ा प्रोग्राम होता था। लेकिन अब मैं देख सकती हूँ कि ज़िंदगी में ऐसी बहुत-सी बातें हैं जो पार्टियों से कहीं ज़्यादा मायने रखती हैं। मिसाल के लिए, एक पायनियर होने की वजह से प्रचार में जाने के लिए मैं सुबह छः बजे उठती हूँ। इसलिए मैं देर रात एक-दो बजे तक दोस्तों के साथ मौज-मस्ती नहीं कर सकती। मैं जानती हूँ कि हर तरह की पार्टियाँ और दोस्तों के साथ मिलना-झुलना बुरा नहीं होता, मगर ये काफी हद तक हमारा ध्यान भटका सकते हैं। जैसे हर चीज़ के लिए एक हद बाँधना ज़रूरी होता है, उसी तरह मनोरंजन के लिए भी एक हद तय करना ज़रूरी है।”

15. माता-पिता अपने बच्चों के लिए सही किस्म का मनोरंजन कैसे चुन सकते हैं?

15 माता-पिताओं की ज़िम्मेदारी है कि वे अपनी और बच्चों की खाने-पीने की ज़रूरतें और आध्यात्मिक ज़रूरतें पूरी करने के साथ-साथ इस बात का भी ध्यान रखें कि परिवार में सबको भरपूर प्यार मिले और सब खुश रहें। परिवार की खुशी के लिए मन-बहलाव का इंतज़ाम करना भी ज़रूरी है। अगर आप एक माँ या पिता हैं, तो मनोरंजन पर पाबंदी मत लगा दीजिए मानो यह गलत है। आप अपने परिवार के लिए अच्छे मनोरंजन का इंतज़ाम कर सकते हैं। पर साथ ही आपको ऐसे मनोरंजन से अपने परिवार को दूर रखना है जो आपको नुकसान पहुँचा सकता है। (1 कुरिं. 5:6) अगर आप थोड़ा पहले से सोचें तो आप अच्छा मनोरंजन चुन सकते हैं जिससे आपका परिवार तरो-ताज़ा हो सके। * इस मामले में सही चुनाव करने से आप अपने बच्चों के साथ ऐसे रास्ते पर चल रहे होंगे जो आपको यहोवा के और करीब ले जाएगा।

पारिवारिक रिश्‍ते

16, 17. कई माँ-बाप किस दुख से गुज़र रहे हैं? हम कैसे जानते हैं कि यहोवा उनका दर्द समझता है?

16 माँ-बाप और बच्चों के बीच रिश्‍ता इतना मज़बूत होता है कि यहोवा ने भी इस रिश्‍ते की मिसाल देकर समझाया कि वह अपने लोगों से कितना प्यार करता है। (यशा. 49:15) इसलिए ज़ाहिर-सी बात है कि जब किसी का बेटा या बेटी यहोवा को छोड़ देता है तो माँ-बाप को यह दुख बरदाश्‍त करना बहुत मुश्‍किल लग सकता है। एक बहन बताती है कि जब उसकी बेटी का मंडली से बहिष्कार किया गया तो उस पर क्या बीती। वह कहती है, “मैं पूरी तरह टूट गयी। मैं बार-बार यही सोचती रहती कि क्यों मेरी बेटी ने यहोवा को छोड़ दिया। मैं खुद को दोषी मानने लगी, मुझे लगा कि सारा कसूर मेरा है।”

17 अगर आपके परिवार में ऐसा हुआ है तो यकीन मानिए, यहोवा आपका दुख समझता है। खुद यहोवा भी इस दुख से गुज़रा है। जब पहले इंसान ने और जलप्रलय से पहले बहुत-से लोगों ने बगावत की तो यहोवा को ‘मन में बहुत खेद हुआ।’ (उत्प. 6:5, 6) अपनी औलाद को सच्चाई से बाहर जाते देखना कितना दर्दनाक होता है यह सिर्फ वे माँ-बाप समझ सकते हैं जिनके साथ ऐसा हुआ है। हालाँकि यह दुख झेलना बहुत मुश्‍किल हो सकता है, फिर भी अपने बच्चे की गलती की वजह से आप निराश होकर यहोवा से दूर मत चले जाइए। ऐसा करना नासमझी होगी। इस दुख से उबरने के लिए आप क्या कर सकते हैं?

18. अपने बच्चे की गलती के लिए माँ-बाप को दोषी क्यों नहीं महसूस करना चाहिए?

18 अपने बच्चे की गलती के लिए आप खुद को दोषी मत ठहराइए। यहोवा ने हर इंसान को अपना रास्ता खुद चुनने की आज़ादी दी है और आपके परिवार में से जिस किसी ने अपना जीवन यहोवा को समर्पित करके बपतिस्मा लिया है, उसे ‘अपनी ज़िम्मेदारी का बोझ खुद उठाना’ है। (गला. 6:5) परिवार का जो सदस्य गलत राह चुनकर पाप करता है यहोवा उसी से लेखा लेगा, आपसे नहीं। (यहे. 18:20) पर साथ ही, दूसरों पर दोष मत डालिए। यहोवा ने मंडली में अनुशासन का जो इंतज़ाम किया है उसका आदर कीजिए। शैतान का विरोध कीजिए न कि प्राचीनों का, जो चरवाहों की तरह मंडली की देखभाल करते और उसकी हिफाज़त करते हैं।—1 पत. 5:8, 9.

अपने बच्चे के बारे में यह उम्मीद लगाना गलत नहीं कि वह एक दिन यहोवा के पास लौट आएगा

19, 20. (क) जिन माँ-बाप के बच्चों का बहिष्कार हो गया है वे अपने दुख से उबरने के लिए क्या कर सकते हैं? (ख) ऐसे माँ-बाप के लिए क्या आशा करना गलत नहीं है?

19 लेकिन अगर आप यहोवा से नाराज़ हो जाते हैं, तो आप ऐसे रास्ते पर निकल पड़े हैं जो आपको यहोवा से दूर ले जाएगा। ऐसा करने के बजाय यहोवा के और करीब आने की कोशिश कीजिए। यह ज़रूरी है कि आपका बच्चा देख पाए कि आप सबसे ज़्यादा, यहाँ तक कि अपने परिवार के सदस्यों से भी ज़्यादा यहोवा से प्यार करते हैं। इसलिए यहोवा के साथ अपना रिश्‍ता मज़बूत बनाए रखने की पूरी कोशिश कीजिए। अपने वफादार मसीही भाई-बहनों की संगति करना मत छोड़िए। (नीति. 18:1) प्रार्थना में अपने दिल का सारा हाल यहोवा को बताइए। (भज. 62:7, 8) अपने बेटे या बेटी से, जिसका बहिष्कार हो गया है, मेल-जोल बढ़ाने के बहाने मत ढूँढ़िए। मसलन, उससे ई-मेल या एस.एम.एस के ज़रिए संपर्क करने की कोशिश मत कीजिए। (1 कुरिं. 5:11) यहोवा की सेवा में व्यस्त रहिए। (1 कुरिं. 15:58) ऊपर हमने जिस बहन की बात की, वह कहती है, “मैं चाहती हूँ कि मैं यहोवा की सेवा में व्यस्त रहूँ और आध्यात्मिक बातों में मज़बूत बनी रहूँ ताकि जब मेरी बेटी यहोवा के पास लौट आए, तो मैं उसकी मदद कर सकूँ।”

20 बाइबल कहती है कि प्यार “सब बातों की आशा रखता है।” (1 कुरिं. 13:4, 7) इसलिए अपने बच्चे के बारे में यह आशा करना गलत नहीं होगा कि वह एक दिन यहोवा के पास लौट आएगा। हर साल ऐसे बहुत-से लोग जिन्होंने पहले गलती थी, पश्‍चाताप करते हैं और यहोवा के संगठन में लौट आते हैं। जब वे पश्‍चाताप दिखाते हैं तो यहोवा उन्हें ठुकराता नहीं। वह उन्हें खुशी-खुशी “क्षमा” कर देता है।—भज. 86:5.

सही चुनाव कीजिए

21, 22. आपने चुनाव करने की आज़ादी का कैसे इस्तेमाल करने की ठान ली है?

21 यहोवा ने हम इंसानों को अपना चुनाव खुद करने की आज़ादी दी है जो उसकी तरफ से एक बड़ा वरदान है। (व्यवस्थाविवरण 30:19, 20 पढ़िए।) मगर इसके साथ-साथ हम पर भारी ज़िम्मेदारी भी आती है कि हम इस आज़ादी का सही इस्तेमाल करें। हरेक मसीही को खुद से पूछना चाहिए: ‘मैंने कौन-सा रास्ता चुना है? क्या मैंने नौकरी-करियर, मनोरंजन या पारिवारिक रिश्‍तों के मामले में ऐसा रास्ता इख्तियार किया है जो मुझे यहोवा से दूर ले जा रहा है?’

22 अपने लोगों के लिए यहोवा का प्यार कभी कम नहीं होता। वह कभी हमसे दूर नहीं जाता। सिर्फ एक ही चीज़ हमें यहोवा से दूर ले जा सकती है, और वह है हमारा गलत चुनाव। (रोमि. 8:38, 39) लेकिन आप चाहे तो ऐसे बुरे अंजाम से बच सकते हैं। ठान लीजिए कि आप ऐसा कोई चुनाव नहीं करेंगे जो आपको यहोवा से दूर ले जा सकता है। अगले लेख में हम और चार मामलों पर गौर करेंगे जहाँ हम दिखा सकते हैं कि हम कभी यहोवा से दूर नहीं जाएँगे।

^ करियर का चुनाव करने के बारे में और जानकारी के लिए ट्रैक्ट, नौजवानो—आप अपनी ज़िंदगी का क्या करेंगे? पढ़िए।

^ इस बारे में सुझाव के लिए अप्रैल-जून, 2012 की सजग होइए! के पेज 23-25 पढ़िए।