अतीत के झरोखे से
विश्वास बढ़ानेवाली 100 साल पुरानी फिल्म
“ये तो भाई रसल से भी ज़्यादा असल लग रहे हैं!”—1914 में “फोटो-ड्रामा” देखनेवाला एक व्यक्ति।
इस साल “फोटो-ड्रामा ऑफ क्रिएशन” फिल्म की 100वीं सालगिरह है! जिस दौर में विकासवाद, बढ़-चढ़कर नुकताचीनी करनेवालों और शक करनेवालों की वजह से बहुतों का विश्वास कमज़ोर पड़ गया था, वहीं “फोटो-ड्रामा” ने परमेश्वर के वचन, बाइबल पर लोगों का विश्वास मज़बूत किया और ऐलान किया कि यहोवा ही हमारा सिरजनहार है।
उस वक्त ‘बाइबल विद्यार्थियों’ के काम की अगुवाई करनेवाले भाई चार्ल्स टी. रसल, हमेशा इस खोज में रहते थे कि बाइबल सच्चाई को कैसे सबसे असरदार तरीके से और जल्द-से-जल्द लोगों तक पहुँचाया जा सकता है। ‘बाइबल विद्यार्थी’ पहले से ही, यानी 30 से भी ज़्यादा सालों से किताबों-पत्रिकाओं के ज़रिए सच्चाई लोगों तक पहुँचा रहे थे। मगर अब ऐसा करने का उन्होंने एक नया ज़रिया ढूँढ़ निकाला, और वह था चलचित्र।
चलचित्र के ज़रिए खुशखबरी फैलाना
सन् 1890 के दशक में मूक-चलचित्रों की शुरूआत हुई। सन् 1900 के दशक की शुरूआत में ही न्यू यॉर्क सिटी के एक चर्च में ऐसी ही एक धार्मिक फिल्म दिखायी गयी थी। सन् 1912 में, जब सिनेमा जगत का जन्म बस हुआ ही था, तब भाई रसल ने बेधड़क होकर “फोटो-ड्रामा” बनाने की तैयारियाँ शुरू कर दीं। उन्हें इस बात का एहसास हुआ कि लोगों तक बाइबल सच्चाई पहुँचाने का यह ज़रिया, किताबों-पत्रिकाओं से कहीं ज़्यादा असरदार साबित होगा।
आठ घंटे की यह फिल्म अकसर चार भागों में दिखायी जाती थी। इसमें बाइबल पर आधारित 96 छोटे-छोटे भाषण थे, जिन्हें एक बहुत मशहूर व्यक्ति की आवाज़ में रिकॉर्ड किया गया था। इसके अलावा, कई दृश्यों के साथ पश्चिमी देश का शास्त्रीय संगीत भी बजाया जाता था। जब परदे पर रंगीन स्लाइड और जानी-मानी बाइबल कहानियों की छोटी-छोटी फिल्में दिखायी जाती थीं, ठीक उसी समय पर कुशल ऑपरेटर पीछे से फोनोग्राफ पर आवाज़ और संगीत बजाते थे।
“इसमें तारों की सृष्टि से लेकर मसीह के हज़ार साल के राज के शानदार अंत तक की पूरी तसवीर पेश की गयी है।”—एफ. स्टूअर्ट बार्न्स, जिनकी उम्र 1914 में 14 साल थी
फिल्म के ज़्यादातर दृश्य और काँच के बने बहुत-से स्लाइड, बाहर के कुछ स्टूडियो से खरीदे गए थे। फिलाडेल्फिया, न्यू यॉर्क, पैरिस और लंदन में पेशेवर चित्रकारों ने एक-एक करके फिल्मों और काँच के स्लाइड पर अपने हाथ से तसवीरें बनायीं। बेथेल के ‘चित्र विभाग’ में भी भाई-बहनों की अलग-अलग टीम ने मिलकर काफी तसवीरें बनायीं। अकसर उनका काम होता था, टूटे हुए स्लाइड की जगह नए स्लाइड तैयार करना। बाहर से खरीदी गयी फिल्मों के उत्प. 22:9-12.
अलावा, बेथेल सदस्यों पर भी बाइबल की कहानी फिल्मायी गयी थी, जिसमें उन्होंने अब्राहम, इसहाक और अब्राहम को अपने बेटे की बलि चढ़ाने से रोकनेवाले स्वर्गदूत का अभिनय किया था। यह फिल्म न्यू यॉर्क राज्य में पास ही के यॉन्कर्स शहर में बनायी गयी थी।—भाई रसल के साथ काम करनेवाले एक शख्स ने प्रेस से कहा कि यह माध्यम इस कदर “हज़ारों-लाखों लोगों की शास्त्र में दिलचस्पी बढ़ाएगा, जितनी की आज तक धर्म का प्रचार-प्रसार करनेवाले और किसी भी माध्यम से नहीं बढ़ी।” क्या चर्च के पादरी, आध्यात्मिक तौर पर भूखे लाखों लोगों तक पहुँचने के इस नए और दिलचस्प ज़रिए की तारीफ करते? बिलकुल नहीं। इसके बजाय, उन्होंने “फोटो-ड्रामा” की तौहीन की, और कुछ ने तो चलाकी से या फिर खुलेआम लोगों को इसे देखने से रोकने की कोशिश की। एक शो के दौरान, चर्च के पादरियों के एक समूह ने तो बिजली ही कटवा दी।
इसके बावजूद, “फोटो-ड्रामा” देखने आए लोगों से थियेटर खचाखच भर गए थे। अमरीका में हर दिन लगभग 80 शहरों में “फोटो-ड्रामा” मुफ्त में दिखाया जा रहा था। दर्शक पहली बार ऐसी फिल्म देख रहे थे जिसमें लोगों को बात करते सुना जा सकता था इसलिए उनमें से बहुतों को अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था। टाइम-लैप्स फोटोग्राफी की मदद से हाज़िर लोग नन्हे-से चूज़े को अंडे से बाहर निकलते और एक कली को खूबसूरत फूल के रूप में खिलते हुए देख पाए। उस समय विज्ञान के क्षेत्र में जो जानकारी उपलब्ध थी, उसकी मदद से यहोवा की बेमिसाल बुद्धि को लोगों के सामने पेश किया गया। जैसा कि इस लेख की शुरूआत में बताया गया है, परदे पर भाई रसल को “फोटो-ड्रामा” पेश करते देख, एक दर्शक को लगा कि फिल्म पर दिखाए गए वक्ता “भाई रसल से भी ज़्यादा असल लग रहे हैं!”
बाइबल की शिक्षा में एक बड़ा मुकाम
टिम डर्क्स नाम के एक लेखक और फिल्म इतिहासकार ने “फोटो-ड्रामा” के बारे में कहा कि वह “पहली ऐसी बड़ी फिल्म थी जिसमें आवाज़ (पहले से रिकॉर्ड की गयी लोगों की आवाज़), चलचित्र और मैजिक लैन्टर्न रंगीन स्लाइड सब एक साथ इस्तेमाल किए गए थे।” “फोटो-ड्रामा” से पहले बनी फिल्मों में इनमें से कुछ तकनीकों का इस्तेमाल ज़रूर किया गया था, पर किसी भी फिल्म में इन सभी तकनीकों का एक-साथ इस्तेमाल नहीं किया गया था, खासकर बाइबल पर आधारित किसी फिल्म में। इतना ही नहीं, “फोटो-ड्रामा” के पहले साल में ही, उत्तरी अमरीका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और न्यू ज़ीलैंड में करीब 90 लाख लोगों ने इसे देखा! ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था।
11 जनवरी, 1914 को पहली बार न्यू यॉर्क शहर में “फोटो-ड्रामा” परदे पर दिखायी गयी। इसके सात महीने बाद एक भयंकर युद्ध हुआ, जिसे बाद में पहला विश्व युद्ध नाम दिया गया। इसके बावजूद, दुनिया-भर में लोग “फोटो-ड्रामा” देखने के लिए इकट्ठा होते रहे, क्योंकि इस फिल्म में आनेवाले राज की आशीषों की तसवीरें देखकर उन्हें बहुत दिलासा मिल रहा था। वाकई, सन् 1914 के लिए, “फोटो-ड्रामा” एक लाजवाब फिल्म थी, एक ऐसी फिल्म जिसकी किसी से तुलना नहीं की जा सकती!