गिनती 22:1-41

22  इसके बाद इसराएली वहाँ से रवाना हुए और उन्होंने मोआब के वीरानों में पड़ाव डाला, जहाँ पास में यरदन नदी है और उस पार ठीक सामने यरीहो शहर है।+  इधर सिप्पोर के बेटे बालाक+ ने वह सब देखा था जो इसराएल ने एमोरियों के साथ किया था।  मोआब इसराएलियों से बहुत डर गया क्योंकि इसराएलियों की तादाद बहुत ज़्यादा थी। मोआब इसराएल से इस कदर खौफ खाने लगा+ कि  मोआब ने मिद्यान के मुखियाओं+ से कहा, “अब देखना, लोगों की यह मंडली हमारे सभी इलाकों को ऐसे साफ कर देगी जैसे एक बैल मैदान की घास चट कर जाता है।” उन दिनों सिप्पोर का बेटा बालाक मोआब का राजा था।  बालाक ने बओर के बेटे बिलाम के पास अपने दूत भेजे और उसे बुलवाया। बिलाम अपने देश में पतोर नाम की जगह में रहता था+ जो महानदी* के पास है। बालाक ने अपने दूतों के हाथ बिलाम को यह संदेश भेजा: “मिस्र से एक राष्ट्र निकलकर यहाँ आया है। उसके लोगों की तादाद इतनी है कि वे पूरी धरती* पर छा गए हैं।+ वे यहाँ सीधे मेरे सामने डेरा डाले हुए हैं।  ये लोग मुझसे ज़्यादा ताकतवर हैं, इसलिए मेहरबानी करके मेरे पास आ और मेरी तरफ से इन लोगों को शाप दे।+ तब मैं शायद उन्हें हराकर इस इलाके से दूर भगा सकूँगा। मैं अच्छी तरह जानता हूँ कि तू जिस किसी को आशीर्वाद देता है उसे आशीष मिलती है और जिस किसी को शाप देता है उस पर कहर टूट पड़ता है।”  तब मोआब के मुखिया और मिद्यान के मुखिया भविष्य बताने की कीमत लेकर बिलाम+ के पास गए और उसे बालाक का संदेश सुनाया।  बिलाम ने उनसे कहा, “तुम लोग आज रात यहीं ठहरो। यहोवा मुझसे जो भी कहेगा वह मैं आकर तुम्हें बताऊँगा।” इसलिए मोआब के अधिकारी बिलाम के यहाँ ठहर गए।  फिर परमेश्‍वर बिलाम के पास आया और उससे कहा,+ “ये जो आदमी तेरे यहाँ हैं, ये कौन हैं?” 10  बिलाम ने सच्चे परमेश्‍वर से कहा, “सिप्पोर के बेटे बालाक ने, जो मोआब का राजा है, मेरे पास यह संदेश भेजा है: 11  ‘मिस्र से लोगों की एक बड़ी भीड़ आयी है जो पूरी धरती* पर फैल गयी है। इसलिए मेरे पास आ और मेरी तरफ से उन्हें शाप दे।+ तब शायद मैं उनसे लड़कर उन्हें यहाँ से भगा सकूँगा।’” 12  मगर परमेश्‍वर ने बिलाम से कहा, “तू इन आदमियों के साथ नहीं जाएगा। और तू उन लोगों को शाप नहीं देगा क्योंकि वे आशीष पाए हुए लोग हैं।”+ 13  अगली सुबह बिलाम उठा और उसने बालाक के अधिकारियों से कहा, “तुम लोग अपने देश लौट जाओ, क्योंकि यहोवा ने मुझे तुम्हारे साथ जाने से मना कर दिया है।” 14  तब मोआब के अधिकारी वहाँ से निकल गए और बालाक के पास लौट आए और उससे कहा, “बिलाम ने हमारे साथ आने से इनकार कर दिया है।” 15  मगर बालाक ने एक बार फिर बिलाम के पास अपने अधिकारियों को भेजा, जो पहले भेजे हुए अधिकारियों से भी बड़े नामी-गिरामी थे और गिनती में भी ज़्यादा थे। 16  उन्होंने जाकर बिलाम से कहा, “सिप्पोर के बेटे बालाक ने यह संदेश भेजा है: ‘मेहरबानी करके मेरे पास आ। चाहे कुछ भी हो जाए, तू रुकना मत, ज़रूर आना। 17  मैं तेरा बढ़-चढ़कर सम्मान करूँगा। जो कुछ तू मुझसे कहेगा, मैं करूँगा। बस मुझ पर इतना एहसान कर, तू यहाँ आकर इन लोगों को शाप दे दे।’” 18  मगर बिलाम ने बालाक के सेवकों से कहा, “नहीं, मैं अपने परमेश्‍वर यहोवा के आदेश के खिलाफ न तो कुछ घटाकर न बढ़ाकर कुछ कर सकता। बालाक चाहे अपने महल का सारा सोना-चाँदी मुझे दे दे, तो भी मुझे मंज़ूर नहीं।+ 19  फिर भी, तुम लोग मेहरबानी करके आज की रात यहीं ठहरो। मैं जान जाऊँगा कि यहोवा मुझसे और क्या कहना चाहता है।”+ 20  तब परमेश्‍वर रात को बिलाम के पास आया और उससे कहा, “अगर ये आदमी तुझे बुलाने आए हैं, तो तू उनके साथ जा। मगर ध्यान रहे कि तू सिर्फ वही कहेगा जो मैं तुझे बताऊँगा।”+ 21  अगले दिन बिलाम सुबह उठा और उसने अपनी गधी पर काठी कसी और उस पर सवार होकर मोआब के अधिकारियों के साथ चल पड़ा।+ 22  मगर परमेश्‍वर का क्रोध बिलाम पर भड़क उठा क्योंकि वह उन अधिकारियों के साथ जा रहा था। इसलिए यहोवा का एक स्वर्गदूत उसे रोकने के लिए रास्ते में खड़ा हो गया। बिलाम अपनी गधी पर सवार था और उसके साथ उसके दो सेवक भी थे। 23  जब गधी ने यहोवा के स्वर्गदूत को तलवार खींचे रास्ते में खड़ा देखा, तो वह रास्ते से हटकर खेत की तरफ जाने की कोशिश करने लगी। मगर बिलाम गधी को मारने लगा ताकि वह रास्ते पर आ जाए। 24  फिर यहोवा का स्वर्गदूत जाकर एक तंग रास्ते में खड़ा हो गया जो अंगूरों के दो बागों के बीच से होकर गुज़रता था। उस रास्ते के दोनों तरफ पत्थर की दीवारें थीं। 25  जब गधी ने वहाँ यहोवा के स्वर्गदूत को देखा तो वह दीवार से ऐसे सट गयी कि बिलाम का पैर दीवार से दबने लगा। बिलाम गधी को फिर से मारने लगा। 26  यहोवा का स्वर्गदूत फिर से आगे गया और ऐसे तंग रास्ते पर खड़ा हो गया, जहाँ न दाएँ मुड़ने की जगह थी न बाएँ। 27  जब गधी ने यहोवा के स्वर्गदूत को देखा तो वह बिलाम को अपनी पीठ पर लिए ज़मीन पर बैठ गयी। बिलाम गधी पर आग-बबूला हो उठा और अपनी लाठी से उसे पीटने लगा। 28  अब यहोवा ने ऐसा किया कि गधी बात करने लगी।*+ गधी ने बिलाम से कहा, “मैंने ऐसी क्या गलती की है जो तूने तीन बार मुझे मारा?”+ 29  बिलाम ने गधी से कहा, “तूने मेरा मज़ाक बनाया है। अगर मेरे पास तलवार होती तो मैं तुझे मार ही डालता!” 30  तब गधी ने बिलाम से कहा, “मैं सारी ज़िंदगी तुझे अपनी पीठ पर लिए ढोती रही। क्या इससे पहले कभी मैंने ऐसा बरताव किया है?” बिलाम ने कहा, “नहीं!” 31  तब यहोवा ने बिलाम की आँखें खोल दीं+ और उसने यहोवा के स्वर्गदूत को तलवार खींचे रास्ते पर खड़ा देखा। स्वर्गदूत को देखते ही बिलाम ने मुँह के बल ज़मीन पर गिरकर दंडवत किया। 32  तब यहोवा के स्वर्गदूत ने बिलाम से कहा, “तूने अपनी गधी को तीन बार क्यों मारा? देख! तुझे रोकने के लिए मैं खुद आया था क्योंकि तू ऐसा काम करने जा रहा है जो मेरी मरज़ी के बिलकुल खिलाफ है।+ 33  मैं तुझे रोकने के लिए तीन बार आया था और इन तीनों बार तेरी गधी ने मुझे देखा और मुझसे दूर जाने की कोशिश की।+ अगर वह ऐसा न करती तो सोच तेरा क्या होता! अब तक मैंने तुझे मार डाला होता और उसे ज़िंदा छोड़ दिया होता।” 34  बिलाम ने यहोवा के स्वर्गदूत से कहा, “मैंने पाप किया है। मैं नहीं जानता था कि तू मुझसे मिलने के लिए रास्ते में खड़ा है। मैं जिस काम के लिए निकला हूँ, वह अगर तेरी नज़र में गलत है तो मैं वापस लौट जाता हूँ।” 35  मगर यहोवा के स्वर्गदूत ने बिलाम से कहा, “तू इन आदमियों के साथ जा। मगर ध्यान रहे कि तू सिर्फ वही कहेगा जो मैं तुझे बताऊँगा।” इसलिए बिलाम बालाक के अधिकारियों के साथ आगे चल पड़ा। 36  जब बालाक ने सुना कि बिलाम आ गया है, तो वह उससे मिलने फौरन मोआब के उस शहर गया जो इलाके की सरहद पर अरनोन घाटी के किनारे था। 37  बालाक ने बिलाम से कहा, “मैंने जब पहले तुझे बुलवाया था, तो तू क्यों नहीं आया? क्या तूने यह सोचा कि मैं तेरा बढ़-चढ़कर सम्मान नहीं कर सकता?”+ 38  बिलाम ने बालाक से कहा, “मैं तेरे पास आ तो गया हूँ, मगर मुझे अपनी मरज़ी से कुछ कहने की इजाज़त नहीं है। मैं सिर्फ वही बात कह सकता हूँ जो परमेश्‍वर मुझसे कहेगा।”+ 39  इसके बाद बिलाम बालाक के साथ गया और वे किरयत-हूसोत पहुँचे। 40  वहाँ बालाक ने बैलों और भेड़ों की बलि चढ़ायी और उनका कुछ गोश्‍त बिलाम और उसके साथ आए अधिकारियों के लिए भेजा। 41  अगली सुबह बालाक बिलाम को बामोत-बाल के ऊपर ले गया। वहाँ से वह सभी इसराएलियों को देख सकता था।+

कई फुटनोट

ज़ाहिर है, फरात नदी।
या “पूरे देश।”
या “पूरे देश।”
शा., “गधी का मुँह खोल दिया।”

अध्ययन नोट

तसवीर और ऑडियो-वीडियो