भजन 14:1-7
दाविद की रचना। निर्देशक के लिए हिदायत।
14 मूर्ख* मन में कहता है, “कोई यहोवा नहीं।”+
ऐसे लोगों के काम भ्रष्ट और घिनौने होते हैं,कोई भी भला काम नहीं करता।+
2 मगर यहोवा स्वर्ग से इंसानों को देखता हैकि क्या कोई अंदरूनी समझ रखनेवाला है,क्या कोई यहोवा की खोज करनेवाला है।+
3 वे सब सही राह से हट गए हैं,+सब-के-सब भ्रष्ट हो गए हैं।
कोई भी भला काम नहीं करता, एक भी नहीं।
4 क्या गुनहगारों में से कोई भी समझ नहीं रखता?
वे मेरे लोगों को ऐसे खा जाते हैं मानो रोटी हो।
वे यहोवा को नहीं पुकारते।
5 मगर उन सब पर खौफ छा जाएगा,+क्योंकि यहोवा नेक जनों की पीढ़ी के साथ रहता है।
6 गुनहगारो, तुम दीन जन की योजनाएँ नाकाम करने की कोशिश करते हो,मगर यहोवा उसकी पनाह है।+
7 इसराएल का उद्धार सिय्योन की तरफ से हो!+
जब यहोवा अपने लोगों को बँधुआई से लौटा ले आएगा,तब याकूब खुशियाँ मनाए, इसराएल जश्न मनाए।
कई फुटनोट
^ या “नासमझ।”