मत्ती के मुताबिक खुशखबरी 12:1-50

12  एक बार सब्त के दिन यीशु अपने चेलों के साथ खेतों से होकर जा रहा था। उसके चेलों को भूख लगी और वे अनाज की बालें तोड़कर खाने लगे।+  यह देखकर फरीसियों ने उससे कहा, “देख! तेरे चेले सब्त के दिन वह काम कर रहे हैं जो कानून के खिलाफ है।”+  यीशु ने उनसे कहा, “क्या तुमने नहीं पढ़ा कि जब दाविद और उसके आदमी भूखे थे, तब उसने क्या किया?+  किस तरह वह परमेश्‍वर के भवन में गया और उन्होंने चढ़ावे की वे रोटियाँ खायीं+ जो सिर्फ याजकों के लिए थीं और जिन्हें खाना उसके और उसके साथियों के लिए कानून के खिलाफ था?+  या क्या तुमने कानून में नहीं पढ़ा कि सब्त के दिन, मंदिर में सेवा करनेवाले याजक सब्त का नियम तोड़ते हैं फिर भी वे निर्दोष ठहरते हैं?+  मगर मैं तुमसे कहता हूँ, यहाँ वह है जो मंदिर से भी बढ़कर है।+  लेकिन अगर तुमने इस बात का मतलब समझा होता कि मैं बलिदान नहीं चाहता बल्कि यह चाहता हूँ कि तुम दूसरों पर दया करो,+ तो तुम निर्दोष लोगों को दोषी न ठहराते।  क्योंकि इंसान का बेटा सब्त के दिन का प्रभु है।”+  वहाँ से वह उनके सभा-घर में गया। 10  और देखो! वहाँ एक आदमी था जिसका एक हाथ सूखा हुआ था।*+ तब कुछ लोगों ने यीशु से पूछा, “क्या सब्त के दिन बीमारों को ठीक करना सही है?” ताकि उन्हें उस पर इलज़ाम लगाने की कोई वजह मिल सके।+ 11  उसने कहा, “तुममें ऐसा कौन है जिसके पास एक ही भेड़ हो और अगर वह भेड़ सब्त के दिन गड्ढे में गिर जाए, तो वह उसे पकड़कर बाहर न निकाले?+ 12  तो सोचो एक इंसान का मोल भेड़ से कितना ज़्यादा है! इसलिए सब्त के दिन भला काम करना सही है।” 13  फिर उसने उस आदमी से कहा, “अपना हाथ आगे बढ़ा।” जब उसने हाथ आगे बढ़ाया तो उसका हाथ दूसरे हाथ की तरह ठीक हो गया। 14  मगर फरीसी बाहर निकल गए और यीशु को मार डालने की साज़िश करने लगे। 15  यीशु यह जान गया और वहाँ से निकल गया। बहुत-से लोग उसके पीछे हो लिए+ और उसने उन सबकी बीमारियाँ दूर कीं। 16  मगर उसने उन्हें कड़ा हुक्म दिया कि वे किसी को न बताएँ कि वह कौन है+ 17  ताकि ये वचन पूरे हों जो भविष्यवक्‍ता यशायाह से कहलवाए गए थे: 18  “देखो! मेरा सेवक+ जिसे मैंने चुना है। मेरा प्यारा, जिसे मैंने मंज़ूर किया है!+ मैं उस पर अपनी पवित्र शक्‍ति उँडेलूँगा+ और वह राष्ट्रों को साफ-साफ दिखाएगा कि सच्चा न्याय क्या होता है। 19  वह न तो झगड़ा करेगा,+ न ज़ोर से चिल्लाएगा, न ही उसकी आवाज़ बड़ी-बड़ी सड़कों पर सुनायी देगी। 20  वह कुचले हुए नरकट को नहीं कुचलेगा, न ही टिमटिमाती बाती को बुझाएगा+ और वह पूरी तरह न्याय करेगा। 21  वाकई, राष्ट्र उसके नाम पर आशा रखेंगे।”+ 22  इसके बाद वे उसके पास एक आदमी को लाए, जिसमें एक दुष्ट स्वर्गदूत समाया था और वह आदमी अंधा और गूँगा था। यीशु ने उस आदमी को ठीक कर दिया और वह बोलने और देखने लगा। 23  यह देखकर भीड़ दंग रह गयी और कहने लगी, “कहीं यही तो दाविद का वंशज नहीं?” 24  यह सुनकर फरीसियों ने कहा, “यह आदमी दुष्ट स्वर्गदूतों के राजा बाल-ज़बूल की मदद से ही लोगों में समाए दुष्ट स्वर्गदूत निकालता है।”+ 25  यीशु जानता था कि वे क्या सोच रहे हैं इसलिए उसने उनसे कहा, “जिस राज में फूट पड़ जाए, वह बरबाद हो जाएगा और जिस शहर या घर में फूट पड़ जाए वह नहीं टिकेगा। 26  उसी तरह, अगर शैतान ही शैतान को निकाले, तो उसमें फूट पड़ गयी है और वह खुद अपने खिलाफ हो गया है। तो फिर उसका राज कैसे टिकेगा? 27  और फिर, अगर मैं बाल-ज़बूल की मदद से दुष्ट स्वर्गदूतों को निकालता हूँ, तो तुम्हारे बेटे किसकी मदद से इन्हें निकालते हैं? इसलिए वे ही तुम्हारे न्यायी ठहरेंगे। 28  लेकिन अगर मैं परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति से दुष्ट स्वर्गदूतों को निकालता हूँ, तो इसका मतलब परमेश्‍वर का राज तुम्हारे हाथ से निकल चुका है।*+ 29  या क्या कोई किसी ताकतवर आदमी के घर में घुसकर उसका सामान तब तक लूट सकता है जब तक कि वह पहले उस आदमी को पकड़कर बाँध न दे? उसे बाँधने के बाद ही वह उसका घर लूट सकेगा। 30  जो मेरी तरफ नहीं है, वह मेरे खिलाफ है और जो मेरे साथ नहीं बटोरता, वह तितर-बितर कर देता है।+ 31  इसलिए मैं तुमसे कहता हूँ कि इंसानों का हर तरह का पाप और निंदा की बातें माफ की जाएँगी, मगर पवित्र शक्‍ति के खिलाफ निंदा की बातें माफ नहीं की जाएँगी।+ 32  मिसाल के लिए, अगर कोई इंसान के बेटे के खिलाफ बोलता है, तो उसे माफ किया जाएगा।+ मगर जो कोई पवित्र शक्‍ति के खिलाफ बोलता है, उसे माफ नहीं किया जाएगा, न तो इस दुनिया में न ही आनेवाली दुनिया में।+ 33  अगर तुम बढ़िया पेड़ हो, तो तुम्हारा फल भी बढ़िया होगा और अगर तुम सड़ा पेड़ हो, तो तुम्हारा फल भी सड़ा हुआ होगा क्योंकि एक पेड़ अपने फल से पहचाना जाता है।+ 34  अरे साँप के सँपोलो,+ जब तुम दुष्ट हो तो अच्छी बातें कैसे कह सकते हो? क्योंकि जो दिल में भरा है वही मुँह पर आता है।+ 35  अच्छा इंसान अपनी अच्छाई के खज़ाने से अच्छी चीज़ें निकालता है, जबकि बुरा इंसान अपनी बुराई के खज़ाने से बुरी चीज़ें निकालता है।+ 36  मैं तुमसे कहता हूँ कि लोग जो भी निकम्मी* बात बोलते हैं, उसके लिए उन्हें न्याय के दिन हिसाब देना होगा।+ 37  तुझे अपनी बातों की वजह से नेक ठहराया जाएगा या अपनी बातों की वजह से दोषी ठहराया जाएगा।” 38  यह सुनकर कुछ शास्त्रियों और फरीसियों ने यीशु से कहा, “हे गुरु, हम चाहते हैं कि तू हमें कोई चिन्ह दिखाए।”+ 39  यीशु ने उनसे कहा, “एक दुष्ट और विश्‍वासघाती पीढ़ी हमेशा कोई चिन्ह* देखने की ताक में लगी रहती है। मगर इसे योना भविष्यवक्‍ता के चिन्ह को छोड़ और कोई चिन्ह नहीं दिया जाएगा।+ 40  ठीक जैसे योना एक बड़ी मछली के पेट में तीन दिन और तीन रात रहा,+ वैसे ही इंसान का बेटा धरती के गर्भ में तीन दिन और तीन रात रहेगा।+ 41  नीनवे के लोग न्याय के वक्‍त इस पीढ़ी के साथ उठेंगे और इसे दोषी ठहराएँगे क्योंकि उन्होंने योना का प्रचार सुनकर पश्‍चाताप किया था।+ मगर देखो! यहाँ वह मौजूद है जो योना से भी बढ़कर है।+ 42  दक्षिण की रानी को न्याय के वक्‍त इस पीढ़ी के साथ उठाया जाएगा और वह इसे दोषी ठहराएगी क्योंकि वह सुलैमान की बुद्धि की बातें सुनने के लिए पृथ्वी के छोर से आयी थी।+ मगर देखो! यहाँ वह मौजूद है जो सुलैमान से भी बढ़कर है।+ 43  जब एक दुष्ट स्वर्गदूत किसी आदमी से बाहर निकल आता है, तो आराम करने की जगह ढूँढ़ने के लिए सूखे इलाकों में फिरता है, मगर उसे कोई जगह नहीं मिलती।+ 44  तब वह कहता है, ‘मैं अपने जिस घर से निकला था, उसमें फिर लौट जाऊँगा।’ वह आकर पाता है कि वह घर न सिर्फ खाली पड़ा है बल्कि साफ-सुथरा और सजा हुआ है। 45  तब वह जाकर सात और स्वर्गदूतों को लाता है जो उससे भी दुष्ट हैं। फिर वे सब उस आदमी में समाकर वहीं बस जाते हैं और उस आदमी की हालत पहले से भी बदतर हो जाती है।+ इस दुष्ट पीढ़ी का भी यही हाल होगा।” 46  जब यीशु भीड़ से बात कर ही रहा था, तो देखो! उसकी माँ और उसके भाई+ आकर बाहर खड़े हो गए। वे उससे बात करना चाहते थे।+ 47  तब किसी ने यीशु से कहा, “देख! तेरी माँ और तेरे भाई बाहर खड़े हैं और तुझसे बात करना चाहते हैं।” 48  तब यीशु ने उससे कहा, “मेरी माँ और मेरे भाई कौन हैं?” 49  फिर उसने अपने चेलों की तरफ हाथ बढ़ाकर कहा, “देखो, ये रहे मेरी माँ और मेरे भाई!+ 50  क्योंकि जो कोई स्वर्ग में रहनेवाले मेरे पिता की मरज़ी पूरी करता है, वही मेरा भाई, मेरी बहन और मेरी माँ है।”+

कई फुटनोट

या “लकवा मार गया था।”
या “तुम्हारे पास आ पहुँचा है; अचानक आ पहुँचा है।”
या “बेकार की।”
या “हमेशा सबूत के तौर पर चमत्कार।”

अध्ययन नोट

सब्त: शब्दावली देखें।

खेतों से होकर: शायद दो खेतों के बीच जो मेड़ होती है उससे होकर।

जो कानून के खिलाफ है: यहोवा ने आज्ञा दी थी कि इसराएली सब्त के दिन कोई काम न करें। (निर्ग 20:8-10) मगर किसे काम कहा जाएगा और किसे नहीं, यह तय करने का ज़िम्मा यहूदी धर्म गुरुओं ने अपने हाथ में ले लिया। उनके मुताबिक यीशु के चेले कटाई करने और अनाज दाँवने के दोषी थे, जबकि उन्होंने महज़ अनाज की बालें तोड़ीं और हाथों से मसलकर खायी थीं। (लूक 6:1, 2) ऐसा कहकर ये धर्म गुरु यहोवा की आज्ञा को कुछ ज़्यादा ही सख्ती से लागू कर रहे थे।

परमेश्‍वर के भवन: मर 2:26 का अध्ययन नोट देखें।

चढ़ावे की . . . रोटियाँ: या “नज़राने की रोटी।” इनके इब्रानी शब्दों का शाब्दिक मतलब है, “चेहरे की रोटी।” शब्द “चेहरा” कभी-कभी “मौजूदगी” को दर्शाता है। इसलिए “नज़राने की रोटी” हमेशा मानो यहोवा के चेहरे के सामने चढ़ावे के तौर पर रखी रहती थी।​—निर्ग 25:30; शब्दावली में “चढ़ावे की रोटियाँ” और अति. ख5 देखें।

सब्त का नियम तोड़ते हैं: यानी वे सब्त के दिन को दूसरे दिनों की तरह मानते थे और जानवरों की बलि से जुड़े कई काम करते थे, जैसे उन्हें हलाल करते थे।​—गि 28:9, 10.

इस बात का मतलब: इनके यूनानी शब्द एस्टीन (शाब्दिक मतलब “है”) का यह भी मतलब है, “सूचित करना; मतलब।”​—मत 26:26 का अध्ययन नोट देखें।

बलिदान नहीं . . . दया करो: मत 9:13 का अध्ययन नोट देखें।

इंसान का बेटा: मत 8:20 का अध्ययन नोट देखें।

सब्त के दिन का प्रभु: खुद को यह उपाधि देकर (मर 2:28; लूक 6:5) यीशु ज़ाहिर कर रहा था कि उसे सब्त के दिन पर अधिकार दिया गया है ताकि वह अपने पिता का काम पूरा कर सके। (यूह 5:19; 10:37, 38 से तुलना करें।) यीशु ने जो अनोखे चमत्कार किए थे उनमें से कुछ उसने सब्त के दिन ही किए। इनमें बीमारों को ठीक करना शामिल था। (लूक 13:10-13; यूह 5:5-9; 9:1-14) ज़ाहिर है कि यह इस बात की झलक थी कि जब वह धरती पर राज करेगा तो वह कैसे लोगों को राहत दिलाएगा। उसके राज में सब्त के दिन की तरह सबको विश्राम मिलेगा।​—इब्र 10:1.

हाथ: इसके यूनानी शब्द के कई मतलब हैं। इसका एक मतलब पूरी बाँह हो सकता है जिसमें पंजा और उँगलियाँ शामिल हैं।​—मत 12:13 भी देखें।

से कितना ज़्यादा है!: मत 7:11 का अध्ययन नोट देखें।

ताकि ये वचन पूरे हों जो भविष्यवक्‍ता यशायाह से कहलवाए गए थे: मत 1:22 का अध्ययन नोट देखें।

देखो!: मत 1:23 का अध्ययन नोट देखें।

जिसे मैंने मंज़ूर किया है: या “जिससे मैं अति प्रसन्‍न हूँ।” (मत 3:17 का अध्ययन नोट देखें।) यहाँ यश 42:1 की बात लिखी है और इब्रानी शब्द नेफेश के लिए यूनानी शब्द साइखी इस्तेमाल हुआ है जिसका अनुवाद “मैंने” किया गया है।​—शब्दावली में “जीवन” देखें।

टिमटिमाती बाती: आम तौर पर घरों में मिट्टी के दीए होते थे। इनमें जैतून का तेल डाला जाता था और इनकी बाती अलसी के सन से बनी होती थी। “टिमटिमाती बाती” के लिए जो यूनानी शब्द इस्तेमाल किए गए हैं उनका मतलब हो सकता है, एक ऐसी बाती जो बस बुझनेवाली है या बुझ गयी है, लेकिन उसमें से अब भी धुआँ निकल रहा है। यश 42:3 में यीशु की करुणा के बारे में भविष्यवाणी की गयी है और बताया गया है कि वह दीन और कुचले हुए लोगों में उम्मीद की जो आखिरी लौ जल रही है, उसे नहीं बुझाएगा।

पूरी तरह न्याय करेगा: या “न्याय को जीत दिलाएगा।” यूनानी शब्द नीकोस का अनुवाद 1कुर 15:55, 57 में “जीत” किया गया है।

बाल-ज़बूल: शैतान को दिया एक नाम।​—मत 10:25 का अध्ययन नोट देखें।

घर: यानी घराना। बाइबल की मूल भाषा में “घर” के लिए जो शब्द है उसका मतलब हो सकता है, एक परिवार या पूरा घराना, या फिर राजाओं का घराना जिसमें राजमहल से जुड़े लोग भी शामिल होते थे। (प्रेष 7:10; फिल 4:22) यह शब्द शाही खानदान के लिए भी इस्तेमाल होता था, जैसे हेरोदेस और रोमी सम्राट का खानदान, जिनमें अकसर झगड़े होते थे और तबाही मचती थी। मत्ती ने शहर के साथ “घर” का भी ज़िक्र यह दिखाने के लिए किया कि फूट पड़ने से इन दोनों का भी वही हाल होता है जो राज का होता है।

शैतान: मत 4:1 का अध्ययन नोट देखें।

बेटे: यहाँ इसका मतलब है, “शिष्य; चेले।”

वे: यानी “तुम्हारे बेटे।”

तुम्हारे न्यायी ठहरेंगे: यानी फरीसियों के बेटों के काम उनकी दलील झूठी साबित कर देते थे।

निंदा की बातें: ऐसी बातें जो परमेश्‍वर या पवित्र चीज़ों के खिलाफ कही जाती हैं, या जिनसे परमेश्‍वर की बदनामी या उसका अपमान होता है। परमेश्‍वर ही पवित्र शक्‍ति देता है, इसलिए जानबूझकर उस शक्‍ति के कामों का विरोध करना या उन्हें नकारना परमेश्‍वर की निंदा करना है। जैसे मत 12:24, 28 में लिखा है, यहूदी धर्म गुरु जानते थे कि यीशु पवित्र शक्‍ति की मदद से चमत्कार कर रहा है, फिर भी उन्होंने कहा कि वह शैतान की ताकत से चमत्कार कर रहा है।

दुनिया: या “दुनिया की व्यवस्था।” यूनानी शब्द आयॉन का बुनियादी मतलब है, “ज़माना।” मगर इसका यह भी मतलब हो सकता है, किसी दौर के हालात या कुछ खास बातें जो उस दौर या ज़माने को दूसरे दौर या ज़माने से अलग दिखाती हैं। यीशु कह रहा था कि जो कोई पवित्र शक्‍ति के खिलाफ बोलता है उसे न तो इस दुष्ट दुनिया में माफ किया जाएगा, जिस पर शैतान का राज है (2कुर 4:4; इफ 2:2; तीत 2:12) और न ही आनेवाली दुनिया में माफ किया जाएगा, जिस पर परमेश्‍वर का राज होगा और जिसमें सबको “हमेशा की ज़िंदगी” दी जाएगी (लूक 18:29, 30)।​—शब्दावली में “दुनिया की व्यवस्था या व्यवस्थाएँ” देखें।

साँप के सँपोलो: मत 23:33 का अध्ययन नोट देखें।

विश्‍वासघाती: शा., “व्यभिचारी,” यानी परमेश्‍वर से विश्‍वासघात करनेवाली पीढ़ी।​—मर 8:38 का अध्ययन नोट देखें।

योना . . . के चिन्ह: योना को जब बड़ी मछली के पेट से करीब तीन दिन बाद बचाया गया तो उसने कहा कि यह ऐसा था मानो उसे कब्र से निकाला गया हो। (यो 1:17–2:2) योना का बचाया जाना जितना सच था उतना ही सच यह था कि यीशु को तीसरे दिन कब्र से ज़िंदा किया जाता। फिर भी जब उसे ज़िंदा किया गया तो उसमें नुक्स निकालनेवाले पत्थरदिल लोगों ने उस पर विश्‍वास नहीं किया।

तीन दिन और तीन रात: बाइबल के दूसरे ब्यौरों से पता चलता है कि इन शब्दों का मतलब पूरे तीन दिन नहीं हैं। ये ब्यौरे यह भी दिखाते हैं कि भले ही एक दिन के कुछ ही घंटे बीते हों तो भी उसे पूरा दिन माना जा सकता था।​—उत 42:17, 18; 1रा 12:5, 12; मत 27:62-66; 28:1-6.

देखो!: मत 1:23 का अध्ययन नोट देखें।

दक्षिण की रानी: यानी शीबा की रानी। माना जाता है कि उसका राज्य अरब देश के दक्षिण-पश्‍चिमी भाग में था।​—1रा 10:1.

भाई: यीशु के भाइयों के नाम मत 13:55 और मर 6:3 में दिए गए हैं।​—शब्द “भाई” के मतलब के लिए मत 13:55 का अध्ययन नोट देखें।

तब किसी ने . . . चाहते हैं: कुछ प्राचीन हस्तलिपियों में यह आयत हटा दी गयी है।

देखो, ये रहे मेरी माँ और मेरे भाई!: यहाँ यीशु अपने चेलों को भाई कहकर उनके और अपने भाइयों के बीच फर्क बता रहा था। ज़ाहिर है कि उसके कुछ भाई उस पर विश्‍वास नहीं करते थे। (यूह 7:5) इस तरह वह दिखा रहा था कि ‘उसके पिता की मरज़ी पूरी करनेवालों’ और उसके बीच का रिश्‍ता, सगे-संबंधियों से कहीं ज़्यादा मज़बूत है।​—मत 12:50.

तसवीर और ऑडियो-वीडियो

अनाज
अनाज

यीशु के चेलों ने शायद गेहूँ के अनाज की बालें तोड़कर खायी होंगी। यहाँ उसी की तसवीर दिखायी गयी है।

पहली सदी का सभा-घर
पहली सदी का सभा-घर

गलील झील से करीब 10 कि.मी. (6 मील) दूर उत्तर-पूरब में गामला नाम की जगह पर पहली सदी के सभा-घर के खंडहर पाए गए। उसी के आधार पर यह चित्र तैयार किया गया है जिससे पता चलता है कि प्राचीन समय के सभा-घर कैसे दिखते होंगे।

सींगोंवाला साँप
सींगोंवाला साँप

यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाले और यीशु, दोनों ने शास्त्रियों और फरीसियों को ‘साँप के सँपोलों’ कहा क्योंकि उनके दुष्ट काम और झूठी शिक्षाएँ भोले-भाले लोगों के लिए ज़हर की तरह थीं, जिससे लोगों का परमेश्‍वर के साथ रिश्‍ता टूट रहा था। (मत 3:7; 12:34) यहाँ तसवीर में सींगोंवाला साँप दिखाया गया है, जिसकी आँखों के ऊपर छोटे सींग हैं। इसराएल में दूसरे खतरनाक साँप भी पाए जाते हैं, जैसे पैलिस्टाइन वाइपर (वाइपेरा पैलिस्टाइना ) और यरदन की घाटी में पाया जानेवाला रेतीला साँप (सैंड वाइपर, वाइपेरा अमोडाइटेज़ )।