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आमोस की किताब

अध्याय

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सारांश

  • 1

    • आमोस को यहोवा से संदेश मिला (1, 2)

    • बार-बार बगावत करने की सज़ा (3-15)

      • सीरिया (3-5), पलिश्‍त (6-8), सोर (9, 10), एदोम (11, 12), अम्मोन (13-15)

  • 2

    • बार-बार बगावत करने की सज़ा (1-16)

      • मोआब (1-3), यहूदा (4, 5), इसराएल (6-16)

  • 3

    • परमेश्‍वर की तरफ से सज़ा सुनाना (1-8)

      • परमेश्‍वर राज़ की बात बताता है (7)

    • सामरिया के खिलाफ संदेश (9-15)

  • 4

    • बाशान की गायों के खिलाफ संदेश (1-3)

    • यहोवा ने इसराएल की झूठी उपासना के बारे में ताना कसा (4, 5)

    • इसराएल ने शिक्षा कबूल नहीं की (6-13)

      • “अपने परमेश्‍वर के सामने आने के लिए तैयार हो जा” (12)

      • “वह इंसान को अपने विचार बताता है” (13)

  • 5

    • इसराएल ऐसी कुँवारी की तरह है जो गिर गयी है (1-3)

    • परमेश्‍वर की खोज कर और जीता रह (4-17)

      • बुराई से नफरत, भलाई से प्यार (15)

    • यहोवा का दिन, अंधकार का दिन (18-27)

      • इसराएल के बलिदान ठुकराए गए (22)

  • 6

    • धिक्कार है उन पर जो बेफिक्र हैं! (1-14)

      • हाथी-दाँत के पलंग; दाख-मदिरा के प्याले (4, 6)

  • 7

    • इसराएल का अंत करीब, इसके दर्शन (1-9)

      • टिड्डियाँ (1-3), आग (4-6), साहुल (7-9)

    • आमोस से कहा गया कि भविष्यवाणी करना बंद कर (10-17)

  • 8

    • गरमियों के फलों की टोकरी का दर्शन (1-3)

    • ज़ुल्म करनेवालों की निंदा की गयी (4-14)

      • परमेश्‍वर के वचनों का अकाल (11)

  • 9

    • परमेश्‍वर के न्याय से कोई नहीं बचेगा (1-10)

    • दाविद का छप्पर खड़ा किया जाएगा (11-15)