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राजाओं की पहली किताब

अध्याय

सारांश

  • 1

    • दाविद और अबीशग (1-4)

    • अदोनियाह ने राजगद्दी हथियाने की कोशिश की (5-10)

    • नातान और बतशेबा ने कदम उठाया (11-27)

    • सुलैमान का अभिषेक करने का आदेश (28-40)

    • अदोनियाह वेदी के पास भागा (41-53)

  • 2

    • दाविद ने सुलैमान को हिदायतें दीं (1-9)

    • दाविद की मौत; सुलैमान राजा बना (10-12)

    • अदोनियाह की साज़िश और मौत (13-25)

    • अबियातार बाहर किया गया; योआब मार डाला गया (26-35)

    • शिमी मार डाला गया (36-46)

  • 3

    • फिरौन की बेटी से सुलैमान की शादी (1-3)

    • यहोवा ने सुलैमान को दर्शन दिया (4-15)

      • सुलैमान ने बुद्धि माँगी (7-9)

    • दो माँओं का मुकदमा (16-28)

  • 4

    • सुलैमान का प्रशासन (1-19)

    • उसके राज में खुशहाली (20-28)

      • अंगूर की बेल और अंजीर पेड़ तले चैन (25)

    • सुलैमान की बुद्धि और नीतिवचन (29-34)

  • 5

    • राजा हीराम ने सामान भेजा (1-12)

    • सुलैमान ने मज़दूर काम पर लगाए (13-18)

  • 6

    • सुलैमान ने मंदिर बनाया (1-38)

      • भीतरी कमरा (19-22)

      • करूब (23-28)

      • नक्काशियाँ, फाटक, भीतरी आँगन (29-36)

      • करीब 7 साल में मंदिर तैयार (37, 38)

  • 7

    • सुलैमान का महल; दूसरी इमारतें (1-12)

    • कुशल कारीगर हीराम (13-47)

      • ताँबे के दो खंभे (15-22)

      • धातु का बड़ा हौद (23-26)

      • 10 हथ-गाड़ियाँ; ताँबे की हौदियाँ (27-39)

    • सोने की चीज़ें बनाना पूरा हुआ (48-51)

  • 8

    • संदूक मंदिर लाया गया (1-13)

    • सुलैमान का भाषण (14-21)

    • मंदिर के समर्पण की प्रार्थना (22-53)

    • उसने लोगों को आशीर्वाद दिया (54-61)

    • बलिदान और समर्पण का त्योहार (62-66)

  • 9

    • सुलैमान को दूसरी बार दर्शन मिला (1-9)

    • उसने हीराम को तोहफा दिया (10-14)

    • सुलैमान का निर्माण काम (15-28)

  • 10

    • शीबा की रानी मिलने आयी (1-13)

    • सुलैमान की बेशुमार दौलत (14-29)

  • 11

    • सुलैमान की पत्नियों ने उसे बहकाया (1-13)

    • सुलैमान के विरोधी (14-25)

    • यारोबाम को 10 गोत्र देने का वादा (26-40)

    • सुलैमान की मौत; रहूबियाम राजा बना (41-43)

  • 12

    • रहूबियाम का कठोर जवाब (1-15)

    • 10 गोत्रों की बगावत (16-19)

    • यारोबाम इसराएल का राजा बना (20)

    • रहूबियाम से कहा गया, इसराएल से युद्ध न करे (21-24)

    • यारोबाम ने बछड़े की उपासना करवायी (25-33)

  • 13

    • बेतेल की वेदी के खिलाफ भविष्यवाणी (1-10)

      • वेदी के दो टुकड़े हो गए (5)

    • परमेश्‍वर के सेवक ने आज्ञा तोड़ी (11-34)

  • 14

    • यारोबाम के खिलाफ अहियाह की भविष्यवाणी (1-20)

    • यहूदा का राजा रहूबियाम (21-31)

      • शीशक का हमला (25, 26)

  • 15

    • यहूदा का राजा अबियाम (1-8)

    • यहूदा का राजा आसा (9-24)

    • इसराएल का राजा नादाब (25-32)

    • इसराएल का राजा बाशा (33, 34)

  • 16

    • यहोवा ने बाशा को सज़ा सुनायी (1-7)

    • इसराएल का राजा एलाह (8-14)

    • इसराएल का राजा जिमरी (15-20)

    • इसराएल का राजा ओम्री (21-28)

    • इसराएल का राजा अहाब (29-33)

    • हीएल ने यरीहो दोबारा बनाया (34)

  • 17

    • एलियाह ने सूखे की भविष्यवाणी की (1)

    • उसके लिए कौवे खाना लाए (2-7)

    • वह सारपत की विधवा के पास गया (8-16)

    • विधवा के बेटे की मौत; ज़िंदा हुआ (17-24)

  • 18

    • एलियाह, ओबद्याह और अहाब से मिला (1-18)

    • करमेल पर एलियाह का बाल के भविष्यवक्‍ताओं के साथ सामना (19-40)

      • ‘दो विचारों में लटके रहना’ (21)

    • साढ़े तीन साल का सूखा खत्म (41-46)

  • 19

    • एलियाह इज़ेबेल की वजह से भागा (1-8)

    • होरेब के पास यहोवा एलियाह के सामने प्रकट हुआ (9-14)

    • उससे कहा गया, वह हजाएल, येहू और एलीशा का अभिषेक करे (15-18)

    • एलीशा, एलियाह की जगह लेगा (19-21)

  • 20

    • अहाब से सीरियाई लोगों का युद्ध (1-12)

    • उसने उन्हें हराया (13-34)

    • अहाब के खिलाफ भविष्यवाणी (35-43)

  • 21

    • अहाब ने नाबोत के बाग का लालच किया (1-4)

    • इज़ेबेल ने नाबोत को मरवाया (5-16)

    • अहाब के खिलाफ संदेश (17-26)

    • उसने खुद को नम्र किया (27-29)

  • 22

    • अहाब के साथ यहोशापात की संधि (1-12)

    • मीकायाह ने हार की भविष्यवाणी की (13-28)

      • स्वर्गदूत ने अहाब को बेवकूफ बनाया (21, 22)

    • अहाब रामोत-गिलाद में मारा गया (29-40)

    • यहूदा पर यहोशापात का राज (41-50)

    • इसराएल का राजा अहज्याह (51-53)